ब्लॉग आर्काइव

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

तुम अलग होकर क्या करलोगे ?

लो जी अब ओड़िशा के दो हिस्सा होनेवाला है !!! नहीँ नहीँ यह कोई मनगढ़न वात नहीँ आनेवाला कल है जब ओड़िशा का दो या तिन हिस्सा हो गया होगा और आज ओड़िशा का MAP जो दिखनेँ मेँ एक वट पत्र के तरह है कटोरा मेँ तगदिल हो जायेगा । अगर यह विभाजन हुआ तो ओड़िशा का अर्थनीति इतना गिरेगा की उससे उभरना मुसकिल है । 2 दिन पहले पश्चिमी ओड़िशा मेँ 12 घँटा वँद पालन किया गया । उन नैक दिल व्यक्तियोँ का दावा है अलग कोशल राज्य का । मेँ तो हैरान हुँ की ऐसे लोग भी ओड़िशा मेँ है जो अपने ही राज्य का दो हिस्से करने की सपने देखते रहते है ।मेरे लिये यह कल्पना करना भी मुसकिल है की मेरे राज्य का दो हिस्सा हो जाय । वंगालीयोँ नेँ हमेँ तोडने की भरपुर कोशिश कि थी परंतु वो खुद विखर गये । हमारा ओड़िआ संस्कृती आदिवासी और आर्य परंपरा का शुद्ध मिश्रण । हम अन्यकिसी भी भारतीय जाति से कम नहीँ ।परंतु अगर हम अलग हो गये तो हमारी उन्नती असम्वभ है । ओडिशा को एक राज्य बनाने के लिये कवि और लेखकोँ नेँ तथा ततकालिन जनसमाज नेँ कई परिश्रम किये थे । क्या हम ओड़िशा का दो हिस्सा बनाकर यह साबित करना चाहते है कि उनका मेहनत बेकार था या व्यर्थ मेँ किया गया कार्य था ? क्या केवल पुरी,खोरधा,और कटक ओडिशा है ? यह उन हीन मानसिकता धरानेवाले व्यक्तियोँ की शोच है जो केवल व्यक्तिगत स्वार्थ और किसीको निचा दिखाने के उद्देश्य रखते है । पश्चिमी या उत्तर ओडिशा के बिना मध्य और तटवर्ती ओडिशा मेँ क्या रह जायेगा ? हम ओडिआ है हमनेँ एकजुट होकर कभी गंगा से कन्याकुमारी और कलिँग सागर(Bay of bengol) से पेशावर तक भुखंड मेँ राज किया था । और आज केवल देश मेँ अलग राज्य बनाने का होड लगा है इसलिये हम अपने गृह विवाद को बढ़ावा देकर अलग हो जायेँगे तो क्या साबित कर लेँगे ? कि हम भी किसीसे कमनहीँ । अलग तो हम अंग्रेजोँ के जमाने मेँभी थे और हमेँ एक करने के लिये जिन्होनेँ कडे संघर्श किये थे उनका क्या सम्मान रह जायेगा । सारे ओड़िआ यह क्युँ भुल जाते है की वो एक दुसरे के अंग है कोई एक हिस्सा भी अलग हुआ तो जीवन व्यतितकरना मिस्किल हो जायेगा । (bande utkal janani)