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गुरुवार, 2 जुलाई 2015

उत्कल गौरव मधुसुदन दास संक्षिप्त परिचय

अंग्रेजी वर्ष 1933 फरवारी 12....,
सभागृह श्रोताओँ से भरापड़ा था ....
उन्होनो बोलना शुरुकिया

"मेँ जब आंदोलन करने के लिये उठखड़ा हुआ मैने इस रणभूमि मेँ खुदको अकेला पाया । मैने देखा चारोँतरफ लाशेँ हीँ लाशे थी । हड्डीओँ के ढ़ेर व उन मृत लाशोँ मेँ जान फुँकने के लिये मुझे काफी महनत करना पड़ा । जो भी हो मेरे जाति को लढ़ने के लिये युद्धास्त्र से सजाने हेतु मैने प्रयाश किया व करता रहुगाँ ।"
🌻~~~मधुसुदन दास~~~🌻
उत्कल गौरव उपनाम से विख्यात मधुसुदन दास ओड़िशा के प्रशिद्ध लोगोँ मे से एक है ।
कटक सहर मे जन्मे इस नेता का यह आखरी भाषण था

मधुबाबू का जन्म ओड़िशा के कटक जिला के सत्यभामापुर गांव में 28 अप्रैल 1848 को हुआ था। उनके पिता रघुनाथ दास चौधरी और माता पार्वती देवी थी । ओड़िआ लोग उन्हे प्यार से मधुवावु , उत्कल गौरव,मधुबारिष्टर भी कहते है ।
ओड़िशा मेँ वे इतने लोकप्रिय हुए कि उनके नाम पर लोगगीत व मुहावरे बनने लगे
जैसे
Kalia ghoda re chadhibi
madhubabu sange ladhibi"[[काला घोडा मे चढ़ुगाँ मधुबाबु संग लढ़ुगाँ]]

उन्होने ओड़िआ भाषा व संस्कृति को बचाने के लिये 1903 मे जब उत्कल सम्मिलनी स्थापना कि थी तब ओड़िशा ,बंगाल का एक डिवीजन मात्र था ।
तब ओड़िशा यानी अविभक्त कटक ,पुरी ,बालेश्वर जिल्ला क्षेत्र को समझा जाता था ।
1903 मे कांग्रेस छोड़ कर वे ओड़िआ आंदोलन में और सक्रिय हुए । मधुबाबु स्वाभिमान एवं आत्ममर्यादा को विशेष प्राधान्य देते थे । धीरे धीरे उनके जैसे ओर लोग इस संगठन से जुड़नेलगे । मधुबाबु ने अपने कविता ,लेख के बलपर लोगोँ को जगाने कि कोशिश कि
उनके द्वारा लिखागया UTHA UTHA AARE UTKAL SANTAAN UTHIBU TU AAO KETE DINE
आज भी प्रसिद्ध ओड़िआ कविताओँ मे से एक है ! !
उनकी महनत रंगलाया 1936 अप्रेल 1 को ओड़िशा भाषा आधार पर पहला राज्य बना ।


उनकी पढ़ाई गाँव कि पारंपरिक स्कुल से हुई थी । फिर वे कटक गये व अंग्रेजी विद्यालय मेँ नाम लिखाया । 1864 मे मधुसुदन जी ने अन्य चार सहपाठीओँ के साथ एण्ट्रान्स [द्वितीय श्रेणी]] मे पास हुए । इसे आजकल हाईस्कुल सार्टिफिकेट एगजाम् कहाजाता है । इसके बाद उन्हे पढ़ाई के लिये धन जुटाने हेतु बालेश्वर जिल्ला मेँ किरानी [कायस्त] नौकरी करना पड़ा था । कुछ पैसे बचाकर उच्चशिक्षा हेतु वे चांदवाली वंदरगाह देते हुए स्ट्रिम इंजन जलजाहज मेँ कलकत्ता सहर पहँचे ।
1870 मे वे B.A. परिक्षा मेँ पास हुए । कलकत्ता कि पढ़ाई खत्म करके वे लंदन लॉ पढ़ने गये । ग्राजुएट होनेपर वे भारत लौटे व कटक मेँ बतौर वकिल कैरियर कि शुरुवात कि !

उनके नाम कई कीर्तिमान है जैसे
वे
*प्रथम ओड़िआ B.A पास
*प्रथम ओड़िआ M.A पास
*प्रथम ओड़िआ वकिल
*प्रथम ओड़िआ उद्योगपति
*युरोप मे जानेवाले प्रथम ओड़िआ व्यक्ति
*प्रादेश भाइसराल सभा का
*प्रथम ओड़िआ सदस्य
*प्रथम ओड़िआ मन्त्री
*मन्त्रीत्व त्यागनेवाले प्रथम भारतीय नेता
*उत्कल सम्मिलनी का आद्य उद्घोषक
*ओड़िशा मेँ प्रथम वालिका विद्यालय का प्रतिष्ठाता
थे
*प्रथम ओड़िआ जुता कारखाना बनानेवाले

उनके जन्मतिथि 28 अप्रेल को ओड़िशा मेँ वकिल दिवस व स्वाभिमान दिवस के रुप मेँ मनाया जाता है ।