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मंगलवार, 2 मई 2017

----------माता--------

भारतीय सभ्यता के वह शब्द
जिन्हें आज भी 700 करोड लोग अपनी माताको संबोधित करने को पुकारने को इस्तेमाल कररहे है.......

1.मा~माँ~माता

हमारे वैदिक भाषा में प्रचलित #मा धातु
से हमें माता शब्द प्राप्त हुआ है....
मा धातु के कई अर्थ हें
जैसे पालनकरना,सम्भालना,रखरखाव करना,
नाँपना,निर्माण करना,प्रस्तुत करना,बांटना,दिखाना,शब्दकरना आदि....

मा या मां/माँ शब्द इतना प्रभावशाली था /है कि भारत से निकलकर सारे संसार में फैलगया........

लाटिन में माता शब्द से Mater शब्द बना और ग्रीक् में μητέρα(मितेरा)...
अन्यभाषाओं में माता शब्द बदलकर कुछ युं बना......
.........
अंग्रेजी Mom/mother,
स्पेनिश - madre,
अफ्रिकान्-moeder,
डच् - moeder,
आइरिस-máthair,
इटालियन-madre,
रुषी भाषा में мать(mat')
चीनीभाषा में मुकिन् 母親 ,
डेनिस-Mor,
फ्रेंच-mère,
पुर्तगाली-mãe,
जर्मनभाषा में Mutter,
जुलुभाषामें-umama,
भिएतनामी-mẹ,
अरवी -   al'umm (الأم ),
Chichewa-amayi,
हिव्रु- अमा,इम्मा ama,imma(אמא),
युक्रेनीआन् -мати माति,
लिथुआनिआन्-motina,
Czech-matka,
खमेर-   मतै (mteay) (ម្តាយ),
पर्सियन-مادر मद्र,
आर्मेनियान् ~मैर (մայր)
लाटभिआन्-माते māte,
आइसलैंडिक् -móðir,
थाईलैंड कि थाई भाषा में माइ (แม่),
बर्मीभाषा में मिआकांई (မိခင်),
सिंहली भाषा में माभा -මව,
फ्रिसिआन frisian में -mem मेम,
Catalan भाषा में mare,

तो जैसा कि आपने देखा विश्व कि समस्त प्रमुख भाषाओं में मा धातु से जन्में शब्द प्रचलित है
लेकिन कैसे ?
क्या सभी विश्व प्राचीनकाल में भारतका अनुकरण करता था या सारे विश्व में भारत से निकलकर जा बसे थे....

मुझे लगता है
मा शब्द गाय नें इंसान को दिया था.....

प्राचीनकाल में
भारतीयों ने शायद कुत्तों के बाद गायों का पालन करना सिखा होगा .....
उन्होनें देखा
गायों का राँभना  सबसे अलग और मनोहारी है ।
शायद वह प्राचीनलोग
संभवतः पहले #शब्दकरने के अर्थ में
मा शब्द का प्रोयोग करते रहे होगें
जैसा कि गाय करती है हम्मा हम्मा.....

फिर वही शब्द माताओं के लिए भी प्रयोग हुआ होगा
च्युंकि प्राचीनकाल से ही भारतीयों के लिए गाय एक पवित्र जीव रही हें और तो क्या भारतीय प्राचीन ग्रंथ भी गाभी को नव माताओं मे से एक बताता है ।
भारतीयों के देखादेखी बादमें सारे विश्व ने गोपालन करना सिखा होगा.....
अथवा भारतीय ही भारत से निकलकर
अन्य भूभागों में जा बसे थे.....
मा शब्द कि तरह चार  ओर भारतीय शब्द है
जो विदेशों में माता को पुकारने के लिये इस्तेमाल किये जाते है....

2.नना

ऋकवेद में नना शब्द माता के अर्थ में प्रयोग हुआ है ....
कई संस्कृत पंडितों का मत है कि यह नना शब्द
नृ धातु कि प्रथमा विभक्ति प्रथम शब्दरुप ना होता है । उसी ना के साथ न जोडकर नना शब्द बना ....
नः ना यानी जो मानव नहीं/जो नर नहीं वह देवता है नना है.....
नना शब्द ओडिआभाषा में ननी हुआ जिसका अर्थ कन्या होता है
ओडिशा में कहीं कहीं नना बडे भाईको तो कहीं पिता को भी नना कहाजाता है....
इसी नना शब्द से ओडिआ शब्द नानी बना
बडी बहनों को तथा बुआ को ओडिशा में नानी कहते है ।
हिन्दी में वही नना शब्द नाना, नानी बनगयी हें....
जहाँ तक बात विश्व कि है
यहां आज भी ऐसे कई भाषाएँ है जिन्हे बोलनेवाले लोग
अपनी माता को नना शब्द से मिलतेजुलते
शब्दों से पुकारते है....

अजरवैजानी भाषी अपनी मां को ana
कहके पुकारते.....
●Cebuano लोग inahan, Nanay कहते है
●तूर्क लोग मां को anne संबोधित करते है ....
●Igbuभाषा में मां के लिए nne शब्द है
●samoan-tinā
●Galician-nai
●हंगेरभाषी-anya
●Azeri (Latin Script)Ana
●Albanian ~ Nënë
●Chechenजाति के लोग ~Nana
●Ilongo~ Nanay, Nay
●Mapunzugunभाषा में Ñuke, Ñuque

3.आई
मराठी लोग आमतौर पर अपनी माताको आई कहके पुकारते है...
आई शब्द संस्कृत आर्या शब्द का बदला हुआ रुप है...
अतिप्राचीन काल में भारतीय लोग अपनी माताको आर्या पिताको आर्य कहते थे
पितामाता सभ्य होते थे इसलिए
वह आर्य आर्या कहलाते थे....
आर्या शब्द बदलकर अज/अजा बना
वहीं आर्या बना आई ......
ओडिशामें मातमह व मातामहीको क्रमानुसार हम
अजा आई कहते है.....
प्राचीन हिन्दीमें भी आजो शब्द प्रचलन में था....
आई शब्द से मिलतेजुलते
शब्द आज भी विश्व के कई भाषाओं में प्रचलित है ।
Marathi=>आई
Odia,bengali=>ଆଈ(नानी),আঈ
Assamese=aai
Yoruba= iya
Finnish= Äiti
Frisian=Kantaäiti, Äiti
आदि
4.आष्ट्रो एसिआटिक भाषापरिवार से जन्मा
शब्द
बोउ भारत से निकलकर एक तरफ भिएतनाम् तथा कुछ चीनी क्षेत्र में प्रचलित हुआ
वहीं पूर्वभारतीय द्वीपसमूह देशों में भी बोला जाता है....
द्राविड शब्द तिल्ली,तिलैया से मिलतेजुलते शब्द कई अफ्रिकी देशों के भाषा में प्रचलित है
वह भी माता अर्थ में....

ऐसा लगता है एक समय भारतीयों ने समग्र विश्व को एक करदिया था..
तभी तो बोल पाये
वसुधैव कुटुम्बकम्
कोई ओर सभ्यता ऐसा क्यों न कह सका....