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मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

सुरत........कर्मवादीओँ का सहर

.........भाग- 1........

सुरत मेरे लिये अबतक अनलॉकी रहा हे पर मुझे ये सहर अछा लगता हे । सुरत के लिये कहा जाता हे की यहाँ आप बिना पैसा और योग्यता के आ जाय तो भी आप को काम मिलजायेगा और यही कारण हे की पिछले 20 वर्षोँ मेँ सहर की आबादी काफी बढ़चुका हे । 2011 जनगणना के अनुसार सहर मेँ 44 लाख लोग रहते हे जिनके पास पहचान पत्र हे परंतु सुरत मेँ ऐसे लोगोँ की तादात ज्यादा हे जिनके पास कोई पहचान पत्र नहीँ है । ये लोग दुसरे राज्योँ से आये मजदुर हे जो सहर के कपड़े उद्योग मेँ ज्यादातर काम करते मिलेगेँ । सुरत के बारे मेँ आपने पढ़ा होगा या किसी से सुना होगा परंतु मैनेँ इस सहर को करीब से देखा और समझा हे । आज से 15 साल पहले यह सहर दुसरे सहरोँ से काफी पिछे था पर आज ये दुनिया मेँ छठा सबसे तेज विकाश करनेवाला सहर बनचुका है । सुरत को ग्रीन सीटी के नाम से भी जानाजाता है और यह सहर भारत का तिसरा सबसे स्वच्छ सहर हे । हालांकि यहाँ भी कुछ लोग गंदगी फैलाने के लिये सर्वसाधारण स्थलोँ के निकट पेशाव तथा थुक देते । सुरत नगर निगम के सक्रिय प्रयास से आज भारत मेँ सुरत दुसरे सहरोँ के लिये प्रेरणा रुप बना हे । सहर मेँ हर साल दो बार बृक्षरोपण किया जाता है और अबतक सहर मेँ 5000000 से भी ज्यादा वृक्ष लगाया जा चुका है । चालु वित्त वर्ष मेँ 2200 करोड़ सहरी विकाश के लिये भारत सरकार से मिला था जिसको सुरत नगर निगम नेँ 8 महिनोँ मेँ ही खत्म करदिया । हाल नगरनिगम नेँ सुरत मेँ 6 नये ऑवर व्रीज का निर्माण कार्य हात लिया हे जो लगभग 6 महिनोँ मेँ खत्म हो जायेगा । अवैध निर्माण रोकने मेँ भी सुरत नगर निगम दुसरे सहरोँ के मुकाबले काफी आगे हे । 8 वर्षोँ मेँ सहरी बिस्तार से करीबन 46 वस्ती को हटाकर उन्हे कोसाड़ गांव मेँ गुजरात सरकार नेँ नया घर दिया । आज भारत मेँ सुरत दुसरे सहरोँ से आगे इसलिये भी है की यहाँ हर व्यक्ति केवल कर्म पर यकिन रखता हे .......क्रमशः......