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गुरुवार, 8 जनवरी 2015

कोलेस्ट्रोल

अठारवीँ सदी के शुरवात मेँ माइकेल शेवरीअल नामके एक फ्रेँच वैज्ञानिक नेँ पित्ताशय #LIVER मेँ बननेवाला एक पथरी पर परिक्षण करते समय एक विशिष्ट पदार्थ कि खोज कि ! इसे बाद मेँ #CHOLESTEROL कोलेस्ट्रोल नाम दियागया ।
कोलेस्ट्रोल दो ग्रीक शब्दोँ को मिलाकर बना है ,ग्रीक मेँ कोले CHOLE अर्थात् पित्त और स्टोरियस STERIUS का अर्थ सख्त या कठिन !
कुछ वर्षोँवाद अन्य वैज्ञानिकोँ द्वारा कोलेस्ट्रोल के कारण हमारे शरीर पर हो रहे असर पर विस्तृत विवरण भी आनेलगा ।

19वीँ सदी मेँ एडोल्फ विन्डाउस नामक वैज्ञानिक ने कोलेस्ट्रोल की रासायनिक फोर्म्युला C27H450H कि खोज कि !
समय के साथ साथ इसके बारे मेँ ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक उपलब्धियाँ हासिल हुई परंतु साथ साथ मानव समाज मेँ कोलेस्ट्रोल बृद्धि के मामले भी पायेजाने लगे ।

कोलेस्ट्रोल आखिर है क्या ?

यह एक तरह का चिकना पदार्थ है ,शरीर कि लगभग सभी जीवकोष मेँ इसका अल्प या अधिक परिमाण पायाजासकता है । मस्तिस्क , मेरुदंड . एड्रिनल ग्लेन्ड और लिवर मेँ यह विशेष रुप मेँ पायाजाता हे । स्वाद और गंध रहित यह स्पटिकरुप पदार्थ 149 डिग्री C उच्चतम तापमान मेँ पिघलता है तथा पानी तेजाव जैसे पदार्थ

मेँ न घुलपाने के कारण शरीर मेँ जमा होता रहता हे । यह प्रोटिन के साथ संयोजित हो लीपोप्रोटीन रुप मेँ पायाजाता हे ।
लीपोप्रोटीन मुख्यतः तिन प्रकार होता है

हाई डेन्सीटी लीपोप्रोटीन या H.D.L,
लो डेन्सीटी लीपोप्रोटीन
L.D.L
भेरी लो डोन्सीटी लीपोप्रोटीन
V.L.D.L

मानव शरीर के लिये H.D.L या हाई डेन्सीटी लीपोप्रोटीन उपयोगी या अछा है जबकि बाकी L.D.L व V.L.D.L लीपोप्रोटीन रोगबर्धक होता है । अछा कोलेस्ट्रोल शरीर के लिये खुब उपयोगी है ! जीवकोषोँ की वाह्य दिवार बनाना , एन्ड्रिनल ग्लेन्ड कि होर्मोन , मस्तिस्क और ज्ञानतंतु की मेम्बेन बनाने के लिये तथा चर्बी को पचाने के लिये पित्त या #BILE कि निर्माण के लिये भी मानव शरीर को इसकी जरुरत होती है ।
खराब कॉलेस्टेरोल कि आधिक्यता से शरीर के खुन सप्लाई मेँ वाधा अपजता है । खुन के धमनीओँ के जाम होने से एथरोस्कलेरोसीस कि स्थिति पैदा होता है व हाई ब्लॉडप्रेसर के साथ साथ हृदय संबन्धी रोग जैसे मायोकार्डिअल .इस्केमीया , हार्टेटक , तथा मस्तिस्क संबन्धि रोग पेरेलिसीस और ब्रेन स्ट्रोक आदि रोगोँ से पिडित हो सकता है ।

शरीर मेँ कोलेस्ट्रोल बढ़ने के मुख्य कारण इस प्रकार है

i वारसागत या आनुंवशिक कारणो से

ii कीडनी के रोगोँ के कारण

iii डायवेटिस

iii थाइराईड कि विफलाओँ के कराण

iv गाउट

v प्राणीज चर्बी जिसमे सेच्युरेटेड फैट कि मात्रा अधिक होनेवाले खाद्यपदार्थ जैसे माखन ,घी ,क्री8 चीज तथा अंडा मटनरेलो ,मछली कोडलीष ओइल कि अत्यधिक सेवन से

vi वनस्पती घी और नारियल तेल कि अत्यधिक उपयोग के कारण

vi फास्टफ्रुड़ और ड्रिँकस कि अधिक इस्तेमाल से

vii आलस्य पसंद लोगोँ का भी कोलोस्ट्रल मेँ लगातर बृद्धि होती रहती है ।