मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
शनिवार, 17 अगस्त 2013
मूर्ख सरकार कि मूर्खता ।
भाई कोई समझाओ इस मूर्ख सरकार को ! वो 1975 कि गलती फिर दोहरा रहा है । सोसियाल मिडिया पर सेनसर लाके वो क्या साबित करना चाहता हे । क्या हम चुप हो जायेगेँ ? या हार मान लेगेँ ? अगर ऐसा हुआ तो "याद रख ओ कंग्रेसी किड़ा तेरा खातमा हम करेगेँ ।" सरकार यह चाहती है हम उसका प्रशंसा करेँ पर क्युँ करे ? क्या हमको भोपुँ समझ लिया है ? या तुम्हारे एक इशारे पर भोँकनेवाले फालतु कुत्ता ? अरे पहले प्रशंसा करने लायक काम तो करो ।। मुझे लगता हे सरकार Social media से डर गया है और यही कारण है वो इनपर लगाम लगाना चाहता हे । "वैसे भी हार पक्की है ये भी करके देखलो वदला लेना हमे भी आता हे ।।" "देख लेगेँ ताकत कितना किसका है कलम या हकिम कौन फतै पाता है ।" सरकार मेँ वैठे बुड्ढो नेँ यह सोचते हे की नौजवान क्या याद रखेगेँ ? वो तो प्यार और मौज मस्ती मेँ दिन काट रहे होगेँ । पर उनको यह यह गलतफैमी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा । 2014 मेँ इनको पत चल ही जायेगा की इस देश कि ताकत बुढ़े नहीँ युवा है और उनसे पंगा लेना वुद्धिमानी तो नहीँ कह सकते ना...... ।।
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