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बुधवार, 7 अगस्त 2013

एक महाभारत अभी बाकी है ।

क्या आपने महाभारत पढा है ? जरा गौर से पढने पर लगता हे जैसे ये हालात आज भी है । चीन और पाक की दोस्ती और एक महाभारत के पुर्वसंकेत तो नहीँ ? कर्ण महत्वाकाक्षी था चीन भी हे ,और पाक दुर्योधन से कम हे क्या ?दुर्योधन भी कर्ण की ताकत के दम पर पांडवोँ से लडने को साहस कर पाया था और पाक भी आजकल यही कर रहा है । अपने इन दोनों पड़ोसियों से हमारे रिश्तों की हकीकत हर कोई जानता है और दोनों दुश्मनों के आपसी रिश्तों को भी जानता है। इसमें संदेह नहीं कि चीन कभी भारत का सगा नहीं बन पाया। जबकभी भारत ने उसकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया, किसी विषैले सांप की तरह उसने उसे काटा ही। भारतीय पूरी दुनिया में चीन से बंधुत्व का राग अलापते रहे और इस सदाशयता का लाभ चीन ने भारत की पीठ पर छुरा भोंकने में किया। हिन्दी-चीनी भाई-भाई की आड़ में एक बार हमें करारा धोखा चीन दे चुका है। अब हमें उससे और उसके साथ-साथ ऐसे किसी अन्य कुप्रयासों से भी सतर्क रहना होगा। चीन या कोई और देश भी हो यदि भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखता है तो उससे निपटने के लिए अधिक ठोस रक्षा नीति अपनानी जरूरी है। आप कितना भी राहत फतेह अली खान को छोड़ दे, आप कितना भी करमापा के यहां मिली चीनी मुद्रा पर कोई सवाल नहीं उठाएं और करमापा को चीन का जासूस कहना बंद कर दें, लेकिन चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत को चारो तरफ से घेरने की कोशिश कर रहे हैं और यही कोरी सच्चाइ है । पाकिस्तान में परमाणु कार्यक्रम के जनक अब्दुल कदीर खान का अपनी पत्नी हेनी को भेजा गया गोपनीय पत्र चीन के भारत विरोधी आचरण की पोल खोलने के लिए काफी है। लंदन के संडे टाइम्स में छप चुके इस पत्र में कहा गया है कि चीन ने ही पाकिस्तान को परमाणु कार्यक्रम बनाने के फार्मूले दिए। दो परमाणु बम बनाने भर यूरेनियम दिया और परमाणु बम बनाने में प्रयुक्त होने वाली विशेष गैस भी उपलब्ध करवाई। अब्दुल कदीर पर आरोप है कि उन्होंने उत्तर कोरिया, लीबिया और ईरान को परमाणु तकनीकी बेची थी लेकिन कदीर की मानें तो यह सब तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और उनके सुरक्षा सलाहकार इम्तियाज खान के इशारे पर हुआ था। अगर परमाणु वैज्ञानिक कदीर की बातों में रंच मात्र भी सच्चाई है तो चीन का भारत विरोधी चेहरा सहज ही सामने आ जाता है। भारत ने जब पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए थे तो पाकिस्तान ने छह। यह सबसुलभ हुआ था चीन के सहयोग से। चीनऔर पाकिस्तान की नजदीकी जगजाहिर रही है। चीन हमेशा ही पाकिस्तान की हथियारों की आपूर्ति करता रहा है। पूर्वोत्तर में उल्फा उग्रवादियों के पास से मिलने वाले चीनी हथियार आदि इसी ओर इशारा करते हैं कि चीन हमसे हो रहे छद्म युद्ध में परोक्ष रूप से शामिल है । हम भले ही हिन्दी चीनी भाई भाई गाते हो पर आज गाना वदल गया है । पाकिस्तानी -चीनी भाई-भाई, इसमें दिल्ली कहां से आई" की रचना हो चुकी है। चीन और पाकिस्तान के बीच मेरे हमदम, मेरे दोस्त की कहानी बहुत जोर-शोर से चल रही है। हम सिर्फ देखने के अलावा कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि एक तो हमारे देश का नेतृत्व समझौता परस्त है और दूसरे बार-बार नीचा देखने के बावजूद भी तमाशा पाकिस्तान और चीन के आंगन में घुसकर ही देखना चाहता है। भारत की सीमा में डेढ़ किलोमीटर तक चीन ने अपने नाम की मुहर लगा दी। अपने सैनिकों को भेजकर पहाड़ों को लाल करा दिया, लेकिन भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इसे बेहद सामान्य घटना करार देकर यह अहसास करा दिया कि केंद्र सरकार देश की सरहदों की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीर है? यह सरकार की कायरता नहीँ हे तो और क्या है ? आप मानेँ या न मानेँ तिसरा विश्वयुद्ध भारत पाक चीन के बीच होगी । यह एक निष्ठुर सत्य है जिसे झुटला न सकते ।