ब्लॉग आर्काइव

शुक्रवार, 30 जून 2017

ब्राह्मी लिपि ही भारतीय लिपियों कि मूल है

≥ब्राह्मी लिपि भातिप्रोलु लिपि में बदलकर बादमें
आधुनिक तेलुगु लिपि में बदला है

≥कन्नड भाषा कि लिपि कदम्ब लिपि से १०वीं सदी में जन्मी ओर कदम्ब लिपि ३ शदीमें ब्राह्मीलिपि से

≥तामिल लिपि भी दक्षिण ब्राह्मी लिपि से जन्मी है ओर  कदंब लिपि द्वारा प्रभावित हुई है

≥मलायलम भाषा कि बर्तमान लिपि ग्रंथ लिपि से जन्मी । दक्षिण ब्राह्मी लिपि  बदलकर पल्लव लिपि बना जिससे बादमें ग्रंथलिपि का जन्म हुआ । वहीं दुसरी ओर पल्लव लिपि से तामिल प्रभावित सिंहली लिपि  जन्मा था

≥ आजका ओडिआ लिपि १० वीं सदीके आसपास प्राचीन कलिंगलिपि से जन्मा ओर कलिंगलिपि ब्राह्मी लिपि से जन्मा है । कलिंग लिपि तथा दक्षिण के कदम्ब लिपि में काफी समानताएं देखागया है ।

≥ बर्तमान बंगाली मैथिली आसामी लिपिओं का जन्म गुप्त लिपि से हुआ है ओर गुप्त लिपि ब्राह्मी लिपि से जन्मा है

≥ ब्राह्मी लिपि बदलकर गुप्त लिपि बना उस गुप्त लिपि से नागरी लिपि का जन्म हुआ ओर देवनागरी उसी नागरी लिपि का बदला हुआ आधुनिक रुप है । इस नागरी लिपि से आधुनिक गुजराती ओर मराठी कि मोडी लिपिका जन्म हुआ था ।

≥पंजाबमें ब्राह्मी से जन्मा गुप्त लिपि बदलकर सारदा लिपि बनी, सारदा फिर लंडा लिपि में बदलकर अंततः गुरमुखी लिपि बनकर उभरी ....

≥बर्मा कि बर्मीज लिपि का जन्म
Pyu तथा Mon लिपि से हुआ ओर यह दोनों लिपिओं पर कलिंगलिपि,गुप्तलिपि,कदम्ब लिपि तथा पल्लव लिपि से प्रभावित मानेजाते है
बहरहाल बर्मीज लिपिके मूलमें भी ब्राह्मी लिपि ही है इसबात से सभी सहमत होगें !!!

≥ थाइलैंड कि आधुनिक थाई लिपि खमेरलिपि से जन्मा
खमेर लिपि पल्लव तथा कलिंग लिपि से प्रभावित है ओर इसका मूल भी ब्राह्मी को ही माना जाता है

भारतमें आधुनिक मुंडा/मुंडारी भाषा परिवार का सांताली लिपि आलचिकि (ᱟᱥᱝᱫᱷᱡᱡ) ही अकेला इकलौता ऐसा लिपि है जिसे ओडिशा में जन्में श्री रघुनाथ मुर्मू जी ने डेवलप किया था । यह भारत का अन्यतम आधुनिक लिपि है

तो जैसा कि हमने देखा
भारतवर्ष में प्रचलित बडे  भाषाएं​ ओर उनके शब्द चाहें जितने भी अलग हो जाये
लेकिन उन सभी लिपिओं का मूल ब्राह्मी लिपि ही रहा है ।

तो सभी भारतवासियों से आंतरिक निवेदन है कि वो किसी भी भारतीय लिपियों का अपमान न करें