मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
मंगलवार, 20 अगस्त 2013
बलराम जन्म पर विशेष
। आज भगवान वलराम का जन्म दिवस है और जिन वहन कि भाई नहीँ है वो भगवान वलराम जी को राक्षा पहनाते है । आज मेरे यहाँ चावल से वनेँ दोसा (पिठा) बनता है और गोमाता कि पूजा के वाद हि लोग दोसा या पिठा खाते हे । गाँओ मेँ गाय जब शाम को घर लौटते हे तब हर घर के सामने घास रखा जाता हे । माना जाता हे इस दिन गाय के पूजा करने से सारे मनोरथ पूर्ण होता है। आज हि के दिन भगवान कृष्ण के बड़ेभ्राता वलराम जी का जन्म हुआ था । दुनिया को कृषि का ज्ञान देने के लिये हि उन्हे अवतार माना जाता है।बलराम 'नारायणीयोपाख्यान' में वर्णित व्यूह सिद्धान्त के अनुसार विष्णु के चार रूपों में दूसरा रूप 'संकर्षण' है। संकर्षण बलराम का अन्य नाम है, जो कृष्ण के भाई थे। सामान्यतया बलराम शेषनाग के अवतार माने जाते हैं और कहीं-कहीं विष्णु के अवतारों में भी इनकी गणना है। ओडिशा मेँ भी वो भगवान बलभद्र के नाम से पूजे जाते है । (जय जगन्नाथ जय वलराम जय शुभद्रे)
पुराणो के विना हिन्दुधर्म ?
हम सब यह अछि तरह जानते है की पुराणो का आधार वेद है । वेदोँ मेँ सर्व प्रथम देवता और दानवोँ का वर्णन किया गया है । अगर हम पुराणो को गलत कह दे तो हमारे आधे दर्शन गलत प्रमाणित हो जायेगेँ । पुराण का अर्थ पुरातन, आप इन्हे केवल श्तुल रुप मेँ देख रहे है परंतु इसमेँ जीवन जीनेँ की सारे साधन व्यवस्तित है । पुराणो को केवल पुरातन इतिहास या पुस्तक समझलेना गलत होगा । अपितु इसमेँ विज्ञान और दर्शन के गृढ़ तत्व मौजुद है जिन्हे जानलेने के वाद व्यक्ति आत्मज्ञानी हो जाता है । पुराण मेँ व्यक्ति को केवल दरवाजा दिखाया गया है । उसे अपने ज्ञान और बुद्धि द्वारा वो द्वार खोलना होगा तभी वो उन्हे प्राप्त करलेगा जिन्हे पा लेने के वाद और कुछ शेष नहीँ रह जाता ।
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