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सोमवार, 20 अप्रैल 2015

प्रशिद्ध नेपाली अभिनेता एबं गायक प्रशान्त थमाङ्ग - पर सम्यक तथ्य

4 जनवरी 1983 को पश्चिम बंगाल मेँ जन्मेँ प्रशान्त थमांङ हिँदीफिल्मोँ के दर्शकोँ मेँ उतने प्रसिद्ध नहीँ हैँ परंतु 2007 मेँ indian idol 3 पर प्रशान्त थमाङ को भारी भोट से जीताकर उत्तरपूर्व भारत नेँ अपने एकता दिखादिया था ।
नेपाली पितामाता से जन्मेँ प्रशान्त को इंडियन आईडल मेँ जीताने के लिये उनके HOME TOWN दार्जेलिगं मेँ वाकाईदा
रैली निकाली गई थी । नागालेँड ,सिक्किम मेँ गोर्खा और नेपाली कम्युनीटि मेँ वो एक उम्मिद बनकर उभरे ।
प्रशान्त थमांङ नेँ कलकत्ता सहर मेँ कनेष्टवल के तौर पर अपना कैरियर कि शुरुवात की थी । उस वर्ष पोलिस द्वारा आयोजित कनसर्ट मेँ गाने के बाद अपर के अफसरोँ नेँ उनके हुनर का कद्र करते हुए उन्हे Indian idol मेँ गाने के लिये प्रेरित किया ।
प्रशान्त नेँ INDIAN IDOL जीतने के पश्चात
अपना डेव्यु एलबम "DHANYAVAD" के लिये नेपाली और हिन्दी गाने गाये
2009 मेँ उन्होनेँ अभिनय के क्षेत्र मेँ अपना कदम रखा
उनका पहला नेपाली फिल्म था
GORKHA PALTAN
यह फिल्म काफी सफल रहा और इसके पश्चात प्रशान्त थमाङ ने अपना ज्यादातर समय अभिनय मेँ लगारहे है ।

ओड़िशा मेँ पान सुपारी का सामाजिक महत्त्व

ओड़िशा मेँ शादी व्याह तथा अन्य पारिवारीक उस्छबोँ पर अपने घनिष्ट प्रियजनोँ को "गुआ" या "सुपारी" देकर उनको इसमेँ आमन्त्रण कियाजाता है । सुपारी को संस्कृत मेँ कई नामोँ से जानाजाता हे और मुख्यतः पूगफलम् कहाजाता है ।
इसे ओड़िआ मेँ "गुआमङ्गुला"/ "GUAAMANGULA"
कहाजाता है ।
ओड़िआ भाषा मेँ गुआ का अर्थ होता है => पान मेँ इस्तेमाल होनेवाला सुपारी
परंतु यहाँ खंडित सुपारी नहीँ दियाजाता एक संपूर्ण परंतु अपरिपक्व सुपारी को आमन्त्रण हेतु भेजा जाता है ।
मंगुला => MANGULA का अर्थ यहाँ मंगलकामनाओँ के साथ किया गया आमन्त्रण है ।
भारत के अन्य हिस्सोँ मेँ भी इसतरह का रस्म पाया जाता हे वहाँ पान को ज्यादा महत्व दिया जाता हे परंतु ओड़िशा मेँ केवल एक गुआ या सुपरी देकर भी आप अपने मित्रजनोँ को आमन्त्रण कर सकते हे ।
गुआमंगुला (अपने प्रियजनोँ को आमन्त्रण) करते समय सभी मित्र परिजनोँ को GUAA या सुपारी देने के पश्चात ग्राम देवी के यहाँ "पाँच" सुपारी पूजा हेतु भेजा जाता है ।
फिर सबसे आखिर मेँ मामाजी के घर को भी पाँच सुपारी भेजाजाता है ।
और बाकी बचे पाँच सुपारी या गुआ अन्य मित्र व रिस्तेदारोँ को दिया जाता है ।
पुरातनकाल मेँ केवल 15 सुपारी या गुआ देने का रिवाज था ।
अर्थात् ग्रामदेवी को पाँच,
मामाजी के घर को पाँच ,और बाकी रिस्तेदारोँ को पाँच गुआ या सुपारी दियाजाता था । बदलते सामाजिक उथलपुथल जैसे,
बहुपरिवारवादवाली समाज और संयुक्त परिवार की अभाव के चलते अब 15 सुपारी से भी ज्यादा सुपारी बाँटने पड़रहे है ।
और किसी को पाँच सुपारी देने के बदले एक सुपारी व एक पान का पत्ता दिया जाता है ।
ओड़िशा मेँ किसी को सुपारी देने को बहुत बड़ा बात मानाजाता है । और अगर कोई पुराना मित्र अपना रिस्ता तोड़ना चाहता हे तो वो उस रिस्तेदार से "गुआ काट देता है" अर्थात् उसे सुपारी देकर आमन्त्रण नहीँ करता ।