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शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

मिहिर सेन : - प्रथम भारतीय जिसने इंग्लिस चैनल्स को जीता था पर भ्रष्ट राजनीति से हार गया !!!

दो बंगाली ऐसे हुए है जिन्हे ओडिशा मेँ अपना बचपन व कौशोरावस्था अतिवाहित कर बाद मेँ अंतराष्ट्रिय प्रसिद्धि मिली थीँ । एक हैँ नेताजी सुभाष चंद्र वोष ! उनके भारत को स्वतंत्र करने के अप्राण उद्यमोँ से अंग्रेजोँ कि फटगई थी उनके बारे मेँ आप सब जानते हि होगेँ ! वहीँ
एक और बंगाली मिहिर सेन ने कटक सहर के बुढ़ीठाकुराणी साहि मेँ अपना बचपन बिताया था व प्राथमिक शिक्षा ओडिशा मेँ पुरी कि थी ।

मिहिर सेन जी के नाम आन्तर्जातीय सिद्धि हे कि उन्होने 27 सेप्टेम्बर 1958 को डोभर् से काले तक तैर कर इंग्लिस चैनेल को पारकरनेवाले पहले भारतीय बनगये थे ।
इसके बाद उन्होने कभी पिछे मुडकर देखा हि नहीँ वे आगे बढ़ते चलेगये । 1966 मेँ मिहिर जी ने पाँच पाँच चैनल्स

[[[ पक् चैनेल्स , ष्ट्रेट्स अफ जिव्रालेटर , ष्ट्रेट अफ डार्डानेलिस् , वसफरस् चैनेल्स और पानामा केनाल ]]]
को तैर कर गिनिज वुक अफ रेकर्डस् मेँ मी नाम दर्ज करदिया था !
वे तो लंडन मेँ बारिष्टरी या लो पढ़नेगये थे , उन्होने कभी यह नहीँ सोचा था कि वे एक दिन इंलिश चैनल पार कर लेगेँ !!

लंडन मेँ पढ़ते समय वे काफी दुर्वल स्वास्थ्य हृ करता था और उनदिनोँ वे अपने अतिरिक्त खर्चा निकालने के लिये भारतीय हाईकमिसन मेँ किराणी कि नौकरी किया करते थे । एकबार उनके मन मेँ इंग्लिस चैनल पार करने का खयाल आया और बाद मेँ नशा बनगया । उन्होने अलग अलग क्षेत्रोँ से आठवार प्रयास किया और विफल हुए । परंतु बारबार विफल होनेपर भी उन्होने इसे जारी रखा और आखिरकार वे 4 साल वाद सफल हुए ।
मिहिर को उनकी युरोपीयन पत्नी Bella Weingarten से लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नहरु जी जैसे कई लोगोँ सहयोग मिला जिससे उन्हे यह सिद्धि लाभ हो पाया था । विदेश से लौटने के बाद मिहिर सेन नेँ कलकत्ता हाईकोर्ट मेँ वकिल के तौर पर जुडे और आखिरकार व्यापार मेँ भी हात आजमाया । उन्होने सिल्क रप्तानी हेतु एक उद्योग शुरु किया और देखते हि देखते यह उद्योग भारत द्वितीय वृहत्तम सिल्क रप्तानीकारी उद्योग बनगया तथा इसे भारत सरकार द्वारा पुरस्कारोँ नवाजा भी गया था । एक सफल व्यवसायी के रुप मेँ उनका जीवन ठिकठाक चल हि रहा था कि राजनीति के दलदल ने उनके बर्वादी तय करदिए । 1977 मेँ पश्चिमबंगाल के वामपंथी नेता जौति वसु नेँ उन्हे अपने दल मेँ सामिल होने का न्यौता दे भेजा ! परंतु वामपंथी चिँताधारा के घोरविरोधी मिहिरजी नेँ इसे ठुकरादिया व उपर से जौति वसु के खिलाफ निर्दलीय उम्मिदवार के रुप मेँ चुनाव मेँ खडे हो गये । वे चुनाव मेँ हारगये और वामपंथीओँ कि जीत हुई । फिर क्या था एक के वाद एक हमले होतेरहे मिहिर सेन पर !!! वामपंथीओँ ने उनके उद्योग का काम ठप्प करवादिया वहाँ रोज धर्मघट होनेलगे । विभिन्न तरिकोँ से सरकारी दवाव पडनेलगा उनपर , उनके व्यवसाय को गैरकानुनी ठहराया गया , उनके नाम से कई झुठे केस दायर कियागया , और आखिरकार उनका व्यापार डुबगया । इन सभी घटनाओँ से अवसादग्रस्त हो वे सिर्फ 50 के उम्र मेँ हि वे Alzheimer's और Parkinsons जैसे रोगोँ का शिकार हो गये !! आखरीदिनोँ मेँ वे वहुत अकेले हो गये थे ,अपनोँ ने तो कब का छोड़दिया था ! कोलकात्ता कि सल्टलेक इलाके मेँ आनेवाला आनन्दालोक हसपिटाल मेँ उनका चिकिस्चा चलरहा था !!! दवादारु मेँ रोज कि 3000.00 खर्चा होता था उनका और केन्द्र सरकार से केवल महिने मेँ 1000.00 हि मिलता था उन्हे !!!
देश समाज दोस्त परिवार सभी नेँ उन्हे ठुकरादिया और आखिरकार इंग्लिस चैनेल को तैरकर जीतनेवाला पहला भारतीय अपने हि देश के भ्रष्ट्र राजनीति से वाजी हारकर 1997 जुन 11 को अलविदा कहगया .....