ब्लॉग आर्काइव

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

आज हे भालेंटाइन डे !

ओहो ! सारा दुनिया प्यार जता रहा हे । वाह वाह गोरी गोरी छोरियाँ ,,, और ये प्रमी जोडियाँ । ओ हो हो ! ! ! ! इस प्यार कि तो मेँ ? अरे भाई आप क्युँ परेशान होते हो ? ये तो जी बस कुछ ही घंटो का तामझाम हे । दिन गुजरते ही प्यार और प्यार करनेवाले अपने अपने रस्थे हो लेगेँ जी हाँ कुछ घंटोँ का प्यार फिर क्या ? कभी मिलगये तो हाय हैलो । पिँकी रिंकी चिँकी को पता हे मोहन रामु गणेश उनके गोरी चहरा के लिये पिछे पड़े है वरना पगलाये हुए कुत्ते के तरह उनके आगेपिछे ना होते । गांव कि वात अलग है । गांव मेँ आज भी ये valentine का भुत लगानहीँ । लेकिन सहरोँ मेँ 14 फरबरी को लोग प्यार के मोदक पिये हुए रहते हे । 14 फरबरी यानि प्यार करने का दिन भोग ले मज्जा लुट ले बेटा कल कि किसे फिकर ? दिनभर झुमोँ रातभर झुमोँ खुद के पकेट मेँ नोट ना हे बाप के पैसोँ से झुमोँ । एक बंदा ने पुछ हि लिया मेरा बाप का नोट है तुझे क्युँ मिर्ची लगी ? एक अमीर लड़का 10 Valentine कार्ड खरिदता हे 1000.00 रुपया मेँ पर अंधी बुढ़ी मा के लिये 1 रुपया भी नहीँ । वाह रे मियाँ 1 नहीँ 10 10 ! लगे रहो हम कौन होते है कहनेवाले ? ये xmas valentine day मनानेवालोँ के लिये हीँ बुजुर्ग कह गये "अंग्रेज चले गये इन्हे छोड़गये " . भैया 5 दिन से सुरत सहर भी बदला हुआ लगरहा है और ये बदलाव अमीरजादोँ कि दैन हे । रोज सुबह सुबह रास्तोँ मेँ गुलाब के फुल,कार्ड और बलुन दिख जाते । जो भी हो इन पागलोँ के बजह से हमरा यानी कल्लु भैया का दिन तो अछा गुजरा । हम तो कहते हे 365 दिन Valentine बनाओ हम भी खुश तुम भी खुश ।