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रविवार, 5 जुलाई 2015

गुड़्ड़ु रंगिला .....सामाजिक मुद्दोँ पर बनी कॉमेड़ी फिल्म

भैया लागत है फिल्म इंडस्ट्रीवालन लोग खाप पँचायतोँ के पिछे हात धो के पड़गयो हे.....

कल गुड़्डु रंगिला देखने गये थे....

फिल्म कि कहानी जहाँ एक तरफ पंजाब कि खापपँचायतोँ के उलजलुल हरकतोँ पर उँगली उठाता है , वहीँ एक सीन मेँ तो पुलिसवाली किरदार के मुँह से पुलिस को ही बुराभला कहलवाया गया है ।

फिल्म कि कहानी दो दोस्तोँ से शुरुहोती है जो पंजाब के गाँवो मेँ होनेवाले फंगसन्स मे परफमेँस करते और साथ ही साथ उन परिवारोँ के बारे मेँ इंफरमेसन लुटेरोँ के दे देते ।
ऐसे ही एक केस मेँ कानुनी सिकंजे मे फसने पर #बंगाली नामक व्यक्ति के कहने से एक लड़की का अपहरण कर लेते है । बाद मेँ पताचलता हे कि कन्या ने खुदे अपना अपहरण करवाया था !!!

यहाँतक फिल्म ठिकठाक है
मने इसके बाद फिल्म कि स्टोरीलाईन बारबार घिसापिटे स्क्रिप्ट के पटरी आ जाती.....

बेवी [अदिती] के जिजा...बिल्लु राजनेता व कट्टर सोच रखनेवाले व्यक्ति हे बेबी ने अपने बहन कि मौत का बदला लेने के लिये ये सब खेल रचाया है ।
यहाँ से कहानी मे कई उतारचढ़ाव देखने को मिलते इसे यहाँ लिखने से अछा आपको फिल्म देखने पर मजा आयेगा....
फिल्म मे कई वन लाईनर आपको हसाएगेँ

एक सिन मेँ

"बिल्लु खुदको शेर का बच्चा कहता है
तो रंगिला कहता है
बता तेरी माँ जंगल गयी थी
या शेर घर आया था" :-D :-D :-D

यहाँ फिल्म निर्देशक सुभाष कपुर कि चतुराई का तारिफ करना होगा ! उन्होने फिल्म मेँ वही बात उसी अंदाज मेँ अलग तरिके से कही है !

अपने दुसरे फिल्मोँ से अलग 'गुड्डू रंगीला' में अदिति का काम आपको अलग लगेगा । फिल्म की कथन व किरदार अच्छे हैं । अरशद के क़िरदार में नयापन नहीं, लेकिन उन्होने अभिनय पूरी ईमानदारी से किया । वे पंजाबी मेँ डायलग बोलते हुए अछे लगे ।
अमित साद और बाकी किरदार भी ठीकठाक हैं, पर बाज़ी मारी रोनित रॉय ने जिनका क़िरदार बेहद संजीदा हे । रोनित ने घमंडी रुढिवादी व्यक्ति के किरदार को वखुबी निभाया ।

ये बात भी काफि हदतक ठिक ही हे कि कहानी में नयापन नहीं है । फिल्म को एक कॉमेडी फिल्म की तरह प्रमोट किया गया, जबकी ये सामाजिक मुद्दोँ को और संजिद्दगी के साथ पर्दे पर उठा सकता था ।

डायरेक्टर सुभाष कपूर ने 'बॉम्बे टाइम्स' से बातचीत करते हुए बताया था कि उनकी फिल्म गुड़्डु रंगिला
2009 के 'मनोज-बबली ऑनर किलिंग केस' से प्रेरित है । सुभाष कहते हैं, 'बबली और मनोज की शादी 2007 में हुयी थी और 2009 में उनकी ऑनर किलिंग कर दी गई थी । खाप पंचायत के अनुसार उन दोनों का एक दूसरे के साथ शादी करना गलत था क्योंकि दोनों एक ही बिरादरी के थे । मनोज और बबली ने आर्य समाज मंदिर में शादी की थी । इस फिल्म के माध्यम से सुभाष ने 'ऑनर किलिंग' जैसे एक अहम मुद्दे की तरफ सबका ध्यान उठाया है ।
मिस टनकपुर हाजिर हो के बाद खापपंचायतोँ के खिलाफ बलिवुड़ का ये एक और एटक था ।
जाहिर हे च्युँकि ये फिल्म विवादित विषय पर था कुछलोग फिल्म के ट्रेलर रिलिज पर हिन्दुधर्म के नाम पर चिल्लाये थे....
तब 'माता का ई मेल'वाली गाना व बाबाओँ को फुटवॉले खेलते दिखाने पर फिल्म विवाद मेँ आ गया था !
जबकि फिल्म ने उत्तरभारत कि एक अहम समस्या को सामाज के आगे दर्शकोँको हसाते हसाते
चिँतन मनने हेतु पैश किया है इसपर किसीका ध्यान नहीँ ।
डायरेक्टर सुभाष कपूर ने इससे पहले नेशनल अवार्ड विनिंग फिल्म जॉली एलएलबी व फंस गए रे ओबामा जैसी फिल्में भी बनाई हैं और हरबार कि तरह इस बार भी उनका फिल्म समाज को दर्शकोँ को कुछ कहता हे ।

फिल्म कि एक और गीत "सुईँया सुईयाँ सी " इन दिनोँ एफ एम रेड़िओ पर खुब बजता है ।