ब्लॉग आर्काइव

सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

तु क्युँ सेकुलार बना फिरता है ? हर सेकुलार एक दिन भुला दिआ जाता है !!

जम्मु कश्मीर ! नजाने किस मनहुस घडी मेँ भारत मेँ बिलय हुआ था जिसका सजा आज भी भारत भुगत रहा है ! मेँ उन सेकुलार किडोँ को अपने इस लेख द्वारा पुछना चाहुँगा की आप लोगोँ को वावरी कांड तो याद है पर आजादी मेँ तोफे मेँ मिला लाशोँ से भरा ट्रेन क्युँ याद नहीँ, वो 10 लाख औरतोँ का वलात्कार याद नहीँ और हिन्दु पंडितोँ पर हुआ अत्याचार क्युँ याद नहीँ आता ! क्या इस देश मेँ सहन करने का ठेका सिर्फ हिन्दुओँ नेँ ले रखा है ? और मुस्लीम क्युँ की अल्प संख्यक (21 करोड हो कर भी अल्पसंख्यक ?) हर सच्चा हिन्दोस्तानी मुसलमान कीतने इमानदार है ये अछी तरह जानता है । गुरु गोविंद सिंह जी को भी ऐन मौके पर पठान सैनिकोँ नेँ धोका दे कर गद्दार जय सिँह के साथ हो लिये थे । जिन्ना जिसे पाकिस्तानी "कायदे आजम" कहते फिरते सबसे बड़ा धोकेवाज निकला ।और आज अगर भारत मेँ हिन्दुँ मुसलमान आपस मेँ लढ मर रहे है इसका सिर्फ एक ही व्यक्ति जिम्मेदार है और वो है ये जिन्ना । 20वीँ सदी मेँ कौमी हिँसा फैलाने वाले माष्टर माईन्ड कोई और नहीँ यही जिन्ना थे । भारत मेँ हिन्दु वहुमत है इसलिये सेकुलार है नहीँ तो कब का मुस्लीम राष्ट्र बन चुका होता । तो ये सेकुलार और निरपेक्ष होने के ढ़ोगँ छोडो क्युँ की गीता मेँ भगवान श्रीकृष्ण नेँ भी कहा है इस दुनिया मेँ कोई निरपेक्ष नहीँ है । मेँ भी सदा धर्म के पक्ष मेँ रहता हुँ क्युँ की जहाँ धर्म वहाँ सत्य । इसलिये हे अर्जुन तुम धर्म मेँ स्थित हो कर धर्म युद्ध करो मेँ सदा तुम्हारे साथ रहुगां ।। जय हिन्दु जय हिन्दुस्तान ।।

दादामुनि कि पहली फिल्म जीवन नैया से जुड़ी कुछ यादेँ.....

दादामुनि के नाम से जानेजानेवाले अशोककुमार जी का पहला फिल्म था "जीवन नैया" ! फिल्म तो रिलिज हो गयी पर इस से उनके जीवन मेँ बहुत बड़ा भुचाल आ गया । उन दिनोँ उनका रिस्ता भागलपुर मेँ बहुत बड़े घराने मेँ होने जा रहा था । लेकिन इस फिल्म को देखने के बाद लड़कीवालोँ ने यह कहकर रिस्ता ठुकरा दिया कि "हम नौटकीँ मेँ काम करनेवाले भाण्डो से अपनी बेटी का रिस्ता नहीँ होने देगेँ ।

इधर अशोककुमार जी के पिता भी वौखलाये हुए थे उन्हे समझाबुझाकर फिल्म दिखाया गया तो वो और भड़कगये । उन्होने पुछा ये क्या तुम पराई औरत (देविकारानी) के साथ नाच गा रहे हो ?

दादामुनी नेँ कहा कि ये सब नाटक है और यह औरत पहले से शादीशुदा है(बिमल रोय से) ।

उनके पिता काफि नाराज हुए और दादामुनि अशोक कुमार चुप रहे ।

उनका अगला फिल्म था अछुत कन्या ! इसमेँ कुछ रोमान्टिक सिन्स सुट होनेवाला था पर अशोक कुमार नेँ इसे सुट करने से मनाकरदिया बाद मेँ उन्हे समझाबुझाकर फिल्म सुट किया गया । अछुत कन्या से अशोक कुमार मशहुर हुए और बाद मेँ उनका रिस्ता एक बहुत घराने मेँ तय किया गया ।

अंधविश्वास हि धर्म को मार सकता हे.....

हमेँ उन मान्यताओँ को मानना चाहिये जो विज्ञान सम्मत हो जैसे देवी काम क्रोध मोह माश्चर्य और अहंकार का बलि चाहति हे और यह सब दुर्गुण आ जाने पर इंसान पशु बन जाता हे । लेकिन बाद मेँ लोगोँ नेँ श्लोक और धर्मवाक्योँ का गलत मतलब निकालकर स्वार्थ साधन मेँ लग गये जिससे पृथ्वी मेँ अधर्म बढ़गया और आज से करिबन 3600 साल पहले महाभारतकाल मेँ पृथ्वी 3 डिग्री उत्तर कि और ढ़लगया जिससे अरव और उत्तर अफ्रिका मेँ साहारा मरुस्तल बनगया ।(अरव मेँ पहले अरवी घोडे मिलते थे जो काफी मजवुत और ताकतवर होते थे....शोधकर्ताओँ को मध्यप्राच्य से कई जीवोँ के अवशेष मिलेँ जो साबित करता हे कि कभी अरव और साहारा मरुस्थल हराभरा था )बाद मेँ अरव मेँ बचेहुए लोगोँ मेँ 1000 वर्षखंड मेँ अंधविश्वास इतना फैला कि लोग धीरे धीरे जोराष्टर धर्म (संभवत: यह धर्म राक्षसोँ का होगा क्युँ कि पुराने लेखोँ मेँ राक्षस वेद के वारे मेँ वताया गया हे और जोराष्टर धर्म ग्रथों मेँ ज्यादातर भुत प्रेत और राक्षसी विद्याओँ का वर्नन हे ...आगे चलकर इस धर्म से इहुदी और इस्लाम धर्म बना और इहुदी धर्म से ईसाई धर्म ) को छोडकर नये धर्म बनाने लगे । अंधविश्वास हि धर्म को मार देता हे और आज जोराष्टर धर्म लुप्त हो गया हे और इससे प्ररित 3 नये धर्म आ गये । असल मेँ सारे धर्मोँ मेँ तत्व एक हे परंतु अलग अलगा भाषा , प्रांत और अलगाववाद के वजह से हमेँ वो दिखनहीँ पाता ।