ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 1 सितंबर 2013

देशी अंग्रेज जवाब देँ....

हे देशी अंग्रेजो मेरे प्रश्नोँ का उत्तर दो.........क्या ????

कोलगेट नही था तो क्या भारत में पति पत्नी साथ नही सोते थे ? - चाय नहीं थी तो क्या सब सुस्त और आलसी थे सुबह खडे नही हो पाते थे ? - क्रिकेट नही था तो क्या भारतीय खेलते ही नही थे ? - वैलेनटाइन नहीथा तो क्या भारतीय प्रेम नही करतेथे ? - फेयरलवली नही थी तो क्या सब भारतीय नारी काली थी ? - स्कर्ट नही थी तो क्या भारत में लडकियां पढती नही थी ? - अमूल माचो नही था तो क्या भारतीय नंगे रहते थे ? - डिस्को नही था तो क्या भारत में संगीत नही था ? - ओह माई गोड शब्द नही था तो क्या भारतीय भगवान नही मानते थे ? - लाइफ बाय लक्स नहीं था तो भारतीय गले सडे रहते थे ? - पैंटीन नही था तो क्या सब गंजे हो जाते थे ? - अंग्रेजी नही थी तो क्या भारत में कोई ज्ञानी नही था? - देसी चीजों को बढ़ावा दो और विदेशी चीजों का बहिष्कार करो...

महगाँई कि मार....

आम आदमी को एक और झटका लगा है। पेट्रोल और डीजल के दाम एक बार फिर बढ़ गए हैं। पेट्रोल 2.35 रुपये प्रति लीटर और डीजल 50 पैसे प्रति लीटर महंगा हो गया । हे प्रभु..... ! और कितनेवार पेट्रोल का भाव बढ़ेगा ? पहले से इतना बज चुका हे और कितना बजाओगे ? हे मेरे पुतले प्रधान मंत्री जी अब हम बर्दाश्त नहीँ कर सकते । अब तो रोटी भी नसीब नहीं । जब आपके बस में परिस्थिति सुधारनी नही रह गई है त्तो कृपया कुर्सी से खुद उतर जाइये । ए अरथी नहीं है की चार लोगों का इंतजार करें की वो आये और उतारें । शुक्र है भारत की जनता बहुत धैर्यवान है ! सरकार ऐसी तैसी कर रही है पर हम भारतीय अभी भी बर्दास्त कर रहे हैं । कोई और देश होता तो पब्लिक सड़कों पर आ जाती और नेताओं को उनके घरों और दफ्तरों से खींच कर चौराहों पर खम्बों पर लटका देती और पत्थरों और जूतों से मार कर अधमरा कर देती जब तक की ए सारे बेईमान देश की जनता को कला धन बना कर विदेशी बैंको से वापस ना ले आते ! आज यह सब मंहगाई किसी नीति के कारण कम और नेताओं अफ़सरों, माफिया और पूँजी पतियों द्वारा मिलकर जनता की मेहनत की कमायी की लूट के कारण हुई है । जनता का खून चूसने पर आमादा सरकार को अब उखाड़ फेंकने का वक़्त आ गया है । नीड से जागो देश की भोली जनता नीड से जागो ! पानी सर से ऊपर से निकल रहा है और तुम जातीपाँति, भाषा, इलाके आदि के भेदभावों की नीड मे नेताओंद्वारा सुलाए गये हो ' अब उठो, उठ भी जाओ ।

ये कैसा भारत निर्माण ?

भारतनिर्माण पर लिखा एक प्रशिद्ध कविता पोस्ट कर रहा हुँ जरुर पढ़ेँ.......
(1)
शीश कटाते फौजी देखे.....,आंख दिखाता पाकिस्तान....., कोई मुझको ये तो बता दे..... ,ये कैसा भारत निर्माण.... ?
(2)
भाव गिराता रूपया देखा.....,जान गंवाता हुआ किसान...,, कोई मुझको ये तो बता दे....,ये कैसा भारत निर्माण.....?
(3)
बहनों की इज्जत लुटती देखि....,काम खोजता हुआ नौजवान....., कोई मुझको ये तो बता दे....,ये कैसा भारत निर्माण.....?
(4)
अन्न गोदामो में सड़ता देखा.....,भूख से मरता हिंदुस्तान...., कोई मुझको ये तो बता दे.....,ये कैसा भारत निर्माण....?
(05)
घोटालों की सत्ता देखि....,लुटता हुआ मेरा हिंदुस्तान...., कोई मुझको ये तोबता दे.....,ये कैसा भारत निर्माण ???????!!!!!!!

मेरे प्यारे मनमोहन के बारे मेँ दो टुक.......

मनमोहन सिँह जी के वारे मेँ दो टुक........++++........++++........

मनमोहन सिंह, आप अभी से कुछ भी न करो, हिलो भी नही तो भी जो तुमने किया वह भारत माता का कोई भी लाल नही कर सकता. तुम्हारे रिकार्ड कोछूना ही असंभव है, तोड़ना तो औलौकिक शक्तियो के भी वश मे नही है. विदेशो मे जो भारत नाम से गाँधी की फेविकोलिक जोड़ है, अब वर्तमान मे वह तुम्हे भी जोड़ के जानेगे. माहाभारत काल मे यक्ष ने प्रश्न मे पूछा था कि सबसे सहनशीलकौन है? जवाब था पृथ्वी, अब पृथ्वी भी तुम्हारे उपलब्धियो केआगे तुच्छ है.......पर यह भी गलत है..सबसे सहनशील सृष्टि मे भारतीयहै......मंहगाई का पारा अंतिम छोर तकले जाओ, हम वायु सेवन कर जी लेंगे...2014 मे वोट तुम्ही को देंगे.... क्यो कि लाख योग व्यायाम करे परन्तु जो नैसर्गिक उर्जा प्रवाह, स्वमेव उत्पन्न शारीरिक प्रतिरोध क्षमता जो आपकी महंगाई ने बढ़ाई है वह अकथनीय है. हम भारतके उपायहीन और निरीह नागरिक आपके,आपकी सरकार के और आपके प्रणेताओ के आभारी है.