मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
सोमवार, 27 जनवरी 2014
वो आर्य कहाँ गये !
आर्योँ को संगठित करपाना अब संभव नहीँ क्युँ ? क्युँ कि आर्य अब आर्य न होकर विभिन्न भाषा धर्म और प्रांत आधार पर बंटे हुए हे । परस्पर मेँ विवादोँ से घिरे हुए ये लोग इतने स्वार्थी और भ्रष्ट हो चुके है ये बर्तमान सामाजिक उथलपुथल से पताचलजाता हे । इसदेश मेँ एक वर्ग ऐसा भी हे जो पाश्चात्य संस्कृति से कुछ ज्यादा ही लगाव रखता हे । इन्हे आप अगर वैदिक इतिहास बताने जायेगेँ वो उलटे आपसे प्रश्न करगेँ क्युँ आप क्या उस युग मेँ गये थे ? आपके पास कोई प्रमाण हे तो दिखाईये । आजका युवा पश्चिमी सभ्यता मेँ रंगचुका हे वो जिन्स से लेकर वेगी तक केवल दिखावे ( जिसे लोग फासन कहदेते ) के लिये पहनता हे । पिजा बर्गर और केक खानेवाले भारतीयोँ को बदलने के लिये स्वयं भगवान को अवतार लेना होगा । भारतीयोँ का मानसिक तथा शारीरिक पतन 1600 शत्ताब्दी से चला आ रहा हे और हम अब खुद को तथा महान आर्य संस्कृति को मिटाने मेँ तुले हुए हे । कुछदिन पहले की एक वात हे एक भाई नेँ लडकियोँ का वियर पार्टि वाला एक फोटो पोस्ट किया और उस फोटो को और उन लड़कियोँ की मेँनेँ निँदा कि तो वो भडक उठे उन्होने मुझे प्रश्न किया क्या नारीयोँ को ये अधिकार नहीँ कि वो अपने दिल की करेँ ? मेरा उनके जबाव था हाँ अधिकार हे परंतु उन्हे कोई अधिकार नहीँ की वो अर्धनग्न होकर वाजार मेँ घुमेँ ऐसे मेँ उनका वलात्कार होगा क्युँ कि समाज वर्तमान दुषित हो चुका हे । ये सत्य हे कि आर्य कभी भारत मेँ थे परंतु अब भारत मेँ सिर्फ उनके नालायक दायद मौजुद हे जो मेरा भारत महान कहकह कर आपस मेँ लढ़लढ़ कर वक्त प्रसार करते रहते ।
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