ब्लॉग आर्काइव

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

कुछ मेरे तुम्हारे

अमेरिका दुनिया मेँ चौधरी बना फिरता हे । खुद के यहाँ मंदी से त्रस्त है और दुसरे देशोँ को आपस मेँ लढ़वा रहे है और आज कुछ पढ़लिखे गधे अमरीका जाने के सपने देखते रहते हे । अगर हिन्दोस्तानी आतंकवादी होते तो आज युरोप और अमरीका ना होता । हमेँ ये नहीँ भुलना चाहिये की इनके पूर्वजोँ नेँ हमारे साथ कैसा बरताव किया था । लोग अंग्रेजोँ को तो मन ही मन कोसते रहते पर उनकी इस अंग्रेजी भाषा को बडे अदब से वोला करते जैसे अंग्रेजी मेँ वोलनेवाले सारे के सारे ग्यानी हो । आज तो भारत मेँ उनके संस्कृती को अपनानेवालोँ की तादात काफी बढ़ गया है और यही कारण हे की हमारे समाज बलात्कार और घुसखोरी बढ़रही हे । यहाँ का पढ़ालिखा नौजबान गर अमरीका मेँ जाकर नौकरी करगा तो देश का क्या लाभ होगा ? पर नहीँ हम तो इतने स्वार्थी हो गये हेँ की अपना स्वार्थ के लिये किसी भी हद तक जा सकते हे ।।। ये तो हद है यार ....