ब्लॉग आर्काइव

शनिवार, 16 जनवरी 2016

भोजनप्रिय भीम

अज्ञातवास मे पण्डुपुत्र भीम
मत्स्य देश के राजरसौया बने थे....
सारला_महाभारत मे भीम कैसे अछे रसौया बने इसपर एक मजेदार कथा है जो इसप्रकार है....

श्रीकृष्ण के तरह भीम भी बचपनमे बड़े नटखट शरारती व
भोजनप्रिय हुआ करते थे !

खाने को लेकर के उनका आग्रह व आशक्ति दिनप्रतिदिन बढ़ता चलागया ...
और इसके चलते रसोइ_घर से खाना भी चोरी होने लगा !!

पण्डु सोचते थे यथासंभव
रसोईया ही चोरी छिपे खाद्य लेता होगा च्युँकि वो पेटु था !

एकदिन उसे रंगे हातोँ पकड़ने के लिये रसोई घर मे पण्डु छिपगये !

निश्चित समय पर छिपते छिपाते रसोईघरमे
भीम आये और देखते ही देखते
सारे #पकवान चटकरगये !!

पण्डु को आ गया गुस्सा
इतनेमे पिता को छिपा हुआ देख भीम् वहाँ से लगे भागने

पण्डु भी उनके पिछे दौड़ने लगे
अब पवनपुत्र इतना तेज् दौड़े कि
पण्डु के हात न आये

भीम को धर न पाने के कारण
पण्डु का क्रोधावेग और बढ़ा
तब उन्हे शान्त करने हेतु
अग्नीदेव वहाँ आये
और
भीम् को तब उनसे ये वर मिला कि
वो तीनप्रकार के पकवान
गौरी ,शौरी व नलविधी के ज्ञाता होगेँ
तथा नित्य नूतन पकवान बनासकेगेँ !

भीम् के हात लगते ही घटिया से घटिया पकवान भी रसमय , स्वादयुक्त हो जायेगा !

विश्व मे भोजन ,रुप ,तथा वीरता मे भीम का कोई सानी नहीँ !

[Sarlamahabharat : page -252]


*****[[ विप्रश्री सारला दास द्वारा लिखागया [ओड़िआ] सारला महाभारत
मूल महाभारत से भिन्न स्वतंत्र कथाओँ के लिये जानाजाता है ।
सारलादास ओड़िआभाषा के आदिकवि है ! उन्होने महाभारत अतिरिक्त देवी भागवत तथा
विलंका रामायण भी लिखा है ]]----