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बुधवार, 20 जुलाई 2016

रसगुल्ला वार :- लगभग ओड़िशा कि जीत पक्की

साल 2015 मे लोगोँ को 2 प्रश्नोँ ने उलझाए रखा ।
कट्टपा ने बाहुवली को क्युँ मारा ।
और रसगुल्ला किसका ?

खैर 2015 के मध्यभागसे ही बंगाल Vs ओड़िशा वार छिडा हुआ है ।
जहाँ बांग्लाभाषी तरह तरह कि फिजुल बातेँ करते हुए रसगुल्ला को अपना बता रहे है
वहीँ ओड़िआओँ ने तथ्यात्मक प्रमाण देकर सबको चौका दिया है ।
द्वितीय चंद्रगुप्त विक्रमादित्य
के समय अमरसिँह द्वारा लिखेगये अमरकोष मे छेना को अमिक्ष कहागया है
और इस बारे मे सम्यक जानकारी भी है
परंतु कम् पढ़े लिखे तथाकथित
बंगाली ऐतिहासिकोँ ने
इसे नोटिस नहीँ किया !
कहने लगे
पुर्तगालीओँ ने बंगालीओँ को छेना बनाना सिखाया ! रसगुल्ला को
स्वयं का बताने के लिये ये लोग कितने निचे जा सकते है
सारा भारत ने देखलिया है ।
फिलहाल
बिजेडी सरकार के हातोँ बड़े सबुत लगे है !
रिसर्चर ऐतिहासिक असित महान्ति के प्रतिनिधित्व मे
कई अन्य ऐतिहासिकोँ ने सरकार समक्ष 159 पृष्ठ वाले एक रिपोर्टफाइल पैश किया !

15वीँ से 16वीँ सदी के समयकाल को ओड़िआ साहित्य का पँचसखा युग कहाजाता है
जगन्नाथ दास ,बलराम दास ,अच्युतानंद आदि पाँच कविओँ ने इस युगमे
जगन्नाथ संस्कृति को अपने लेखनी के बल पर और समृद्ध किया था ।
बलराम दास महापात्र महोदय पंचसखा युग के अन्यतम कालजयी कवि है ।
बलराम दास ने कई संस्कृत काव्योँ का ओड़िआ भावानुवाद किया
जिसमेँ उनकी "दण्डि रामायण" सर्व परिचित कृति बतायी जाती
है ।
अब ऐतिहासिकोँ ने दावा किया है कि दण्डि रामायण के पृष्ठ नं 74,75,76,और 77 मे विभिन्न भारतीय पकवानोँ के बारे मे बताया गया है
और इसमे खीरमोहन अर्थात् रसगोला बनाने कि विधि भी वर्णित् है ।
दण्डि रामायण मे कथा हे कि भरद्वाज आश्रम मे भरत को अभ्यर्थना देने के लिए ये सभी पकवान परोसे गए थे ।
अब ये नये तथ्य चौकानेवाले है
और इससे कुछ बंगाली ऐतिहासिक मानने लगे है कि शायद Rasagola or rasgulla पुरी जगन्नाथ जी के रषोईघर मे
ही जन्मा हो ! खैर आम बंगाली के लिए ये
मा माटि मानुष वाली बात है
कुछ लोगोँ को हजम नहीँ हो रही !
उधर ओड़िआओँ ने 21वीँ सदीमे भी अभूतपूर्व एकता दिखा कै साबित कर दिया है
कि वह आगे भी अजेय रहेगेँ
रसगोला वार मे उत्साहित एक ओड़िआ कि ये ट्विट इतनी उत्साह वर्धक है
पढ़कर जान जाएगेँ

"Togather we stand in Puri,
Divided we all fall in the bay."