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सोमवार, 12 अगस्त 2013

भारत और ब्राम्हण

कल मेँ एक व्लोग पढ़ रहा था जिसमेँ ब्राम्हणो की तुलना यवनोँ से कि गयी हे और तो और यहाँ तक लिख दिआ की ब्राम्हण पहले यवन हुआ करते थे । अगर यह लोग मेरे सामने आ जाय तो मेँ जान ले लुँ । क्या भारतवासी भगवान पर्शुराम को भुल गये है ? क्या हम इतने निचे गिर गये हे कि खुद को महान वताने के लिये दुसरे को क्षुद्र सावित करने लगे है ? भारत को हानि पहझाने कि जितने भी कोशिशे हुए ब्राम्हणो ने देश कि रक्षा कि हे । ब्रम्हा से ले कर विवेकानंद तक महापुरुष ब्राम्हण थे । भगवान राम और श्रीकृष्ण नेँ भी ब्राम्हणो का हमशा सेवा और आदर किया । क्या हम आदि शंकराचार्य को भुल गये हे जिन्होने हिन्दु धर्म को नया दिशा दिआ । जितने भी गोत्र हे वो ब्राम्हणो के नाम से हे । जितने भि शास्त्र हे सब ब्राम्होणोँ द्वारा रचे गये । ऐसे गलत सोच को पैदा करने वाला कोई और नहीँ वल्कि खुद हिन्दु धर्म के है यह जानकर और भी वुरा लग रहा है । अंग्रेजोँ के लिखे इतिहास को सच मानकर पिछले 60 साल मेँ कितने तरक्की कर ली ? भगवान पर्शुराम हिमालय मेँ तपस्या कर रहे है और कलकी अवतार अभी वाकी है । दुनिआ को बचाने अब तो आ जाओ गिरधर । देखो तुम्हारा प्रिय क्षेत्र आर्य क्षेत्र मेँ धर्म की हानि चरम पर हे अब तो आ जाओ ।।