मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
रविवार, 25 अगस्त 2013
आजका Fb पंच
आज जितनोँ से वात हुआ सबने कहा "अम्मा छुट्टी के दिन भी चैन से जिने नहीँ दोगे क्या ? FB क्या हो गया पडोशी के वच्चोँ तक freind request भेजने लगे हैँ । आपने उनका request acept न किया तो आपकी खैर नहीँ और अगर आपने मजवुरी मेँ आकर इनके आगे घुटने टेक दिये तो आपको उस आकाउँट को वंद या Diactivate करना पड सकता है । हो सकता है आप Congr से लेकर Pak के नखरे सह लेते हो परंतु इन्हे झेलना आपके वस मेँ नहीँ है । मेरे एक वड़े भाई समान पडोशी नेँ कुछ दिन पहले ऐसे ही fb मेँ एक आकाउँट खोल दिया और वो वस कुछ लिखने की कोशिश ही कर रहे थे की उनसे 11 साल छोटा उनका भतिजा जीतु टपक पडा । और क्युँ की हमारे यहाँ चाचा भतिजे मेँ नोक झोक चलता है तो उसने मजाक मजाक मेँ लिखदिया (क्युँ नये हो क्या ? लाइन मारने आ गये चाची से कह दुगाँ :-P:-D ) तो देखा आपने आजका संडे और आजकल का fb funda कैसा कैसा चल रहा है ।
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