ब्लॉग आर्काइव

मंगलवार, 22 जुलाई 2014

ये लेख हर बुजुर्ग के लिये

कुछ बुजुर्ग केवल एक लाईन रटन करके अपने काल को महान बताते है कि हमारे काल मेँ कैसे कैसे फिल्मेँ होते थे और आज कैसे फिल्म दिखने को मिलता है । तो चलिये बर्तमान और अतीत को तौल कर देखते है कि फिल्म जगत मेँ क्या बदला और क्या गलत हो रहा है ।
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40 से 80 दशक तक बननेवाले ज्यादतर फिल्मेँ केवल बंबेँ या मुंबई सहर कि कहानी कहता था और आज भारत का हर कोना हिँदी फिल्मोँ मेँ दिख जाता है । कहानी , लुटेरा और बर्फी मेँ बंगाल को दिखाया गया है तो चैन्नई एक्सप्रेस , एक दिवाना था और बॉबी जासुस जैसे फिल्मोँ मेँ दक्षिण भारत को दिखाया गया है ।

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हमारे बुजुर्ग कहते हे कि आपके जमाने मेँ क्या अनाप सनाप गानेँ बन रहा है ? मेँ उन्हे बर्फी के सारे गानेँ , ये दिवानी है जवानी से "रे कबिरा" और लकी कबुत्तर से "हाल दा मरहम" सुनने को अनुरोध करुगाँ ! अजी हमनेँ आपके जमानेँ मेँ बने कई प्लॉप पिक्चर के गानेँ सुनरखा है कोई बताएगा इन गानोँ को हिट क्युँ नहीँ मिली ? क्युँ कि इन गानोँ मेँ महनत कम लगा था । heartless से "मेँ ढ़ुँड़ने जमाने से जब वफा निकला " सुनकर देखिये फिर बोलिये हमारे काल मेँ अछे गाने बनते ही नहीँ ! #Jeb we met फिल्म से "आओगे जब तुम ओ साजना" और "आओ मिलोँ चले" #BADMASH COMPONY से "फकीरा"! #Namastey london फिल्म से "विरानीआँ" , "मेँ जहाँ रहुँ" जैसे गानेँ हमारे दौर के माईलस्टोन Song है !

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कुछ बुजुर्ग कह देते कि हमारे काल के देव आनंद , दिलिप कुमार , गुरु दत्त , सुनील दत्त . राज कपुर जैसे एकटर और मीना कुमारी ,सुरैया , मधुवाला . वैजयतीँ माला , आशा पारेख जैसी अदाकार आज के काल मेँ कहाँ ! अरे ये लोग तो आज के हिरोँ को बंदर तक कह देते ! ! !
आज हमारे फिल्म इंडस्ट्री मेँ फरहान अखतर , साहिद कपुर , इरफान खान, प्रभु देवा , अक्षय कुमार, अमिर खान , रितेश देशमुख जैसे आक्टर्स और प्रियंका चोपरा , दिपिका पाद्युकोन , अनुष्का शर्मा , सोनाक्षी सिन्हा जैसी अदाकरा भी है जो आपके काल के किसी भी आक्टर आक्ट्रेस से बहतर अभिनय क्षमता रखते है । हद कि बात तो यह है कि आप लोग बर्तमान काल मेँ बने एक आद फालतु फिल्म देखकर इस दौर के फिल्मोँ को बेकार करार देते है । राजकपुर , गुरुदत्त ,देवानंद, सुनिल दत्त और अन्य सुपरस्टार की झलक आज के किसी ना किसी हिरो मेँ दिख ही जाता है । मनोज कुमार कि झलक अमिर खान मेँ दिखता है वहीँ राजकपुर के पोते रणवीर अपने दादा जी के तरह अभिनय क्षमता रखते है ।
अंत मेँ इतना कहुगाँ !
बुढ़ा होकर आप सुंदर है और जवान होकर हम बंदर के शक्ल वाले है ? हद है यार इस लिये कहा गया है कि इनके चहरे के साथ साथ दिल भी बुढ़ा हो जाता है ।