अकसर देखागया है जब #विधर्मी लोग किसी #सनातनी से #कुतर्क करके भी हार जाते
तब
वह एक ही बात दोहराने लगते है ।
"क्या #हिन्दु हिन्दु कर रहे हो ? अरे
जाओ देखो तुम्हारे यहाँ के
#ब्राह्मण भी
#चिकेन #मटन #अंडा खाते है कि नहीँ ?"
सनातन धर्म ने कभी कहीँ किसी ग्रंथ मे #फतवा जारी नहीँ कि है कि
आप मांस मछली चिकन खा ही नहीँ सकते
अपितु शास्त्र तो मुक्त कण्ठ से कहता है
"न मांसभक्षणे दोषाः न मदै न च मैथुने !
प्रवृत्तरेषा भुतानां निवृत्तस्तु महाफळाः !!"
अर्थात् न ही मांस मछली खाने से #दोषी होगेँ
न #मद्यपान अथवा #कामनाओँ से
परंतु #जीवोँ के लिए इस #संसार सागर मे #प्रवृत्त यानी डुब जाने से अच्छा है #निबृत रहना यानी किचड़ मे होकै भी पद्म समान उससे विरक्त रहना !
#चीन जैसे देशोँ के लोग नाममात्र #बौद्धिस्ट है
ये लोग तो घर के #ककरोच #चिपकली तक को गटक् जाते है ।
वहीँ #भारत मे मटन चिकेन खानेवाले भी मानते है
न खाएं तो बहतर होगा ।
सनातन हिन्दु धर्म अपने अनुयायीओँ की #पराधीनता पर यकिन नहीँ रखता
इसीलिए केवल एक हिन्दु हीँ मानव #जीवनमूल्योँ का सही खयाल रख सकता है ।