मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
शुक्रवार, 1 नवंबर 2013
सरदार किस किसके ?
भाई आजकल लोगोँ को सरदार की बड़ी फिकर होने लगी है .... गुजरात के मुख्यमंत्री नेँ अगर सरदार जी का पुतला बनाया तो क्या बुरा किया ? अब गुजरात समाचार अखबार वाले यह कहते फिर रहे है की पहले सरदार के दिखाये रस्ते पर चलो फिर पुतला बनाना जैसे पुतला बनाना बड़ा आसान हो . सरदार को कौमवादी कहकर कभी यही लोग बदनाम कर रहे थे और आज सरदार जी के आदर्शोँ की मिशाले दि जा रही है . हमारे बर्तमान प्रधानमंत्री ड मनमोहन सिँह जी अहमदावाद मेँ भार पुर्वक युवाओँ को यह नशिहत दे रहे थे की सरदार के दिखाये रस्तोँ पर चलो ... परंतु वो यह भुल वैठे की ये 1970 नहीँ 2013 है . युवा जानता है उसे क्या करना है पर तुम वुड्ढोँ को कब अकल आयेगा ?
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