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सोमवार, 15 सितंबर 2014

आखरी सुबह

गांधीजी नेँ देश को आजाद करने के लिये कई जात धर्म मेँ बँटा भारत को एक होने का आह्वान किया था । इसलिये सरदार पटेल जवाहरलाल मौलाना आजाद जैसे नेता उनके साथ थे सुभाषजी नेँ आजीवन (?) उनको अपना प्रेरणा माना । उनदिनोँ देश मेँ एक वर्ग ऐसा भी था जिसे गांधीजी द्वारा कियागया निर्णय भाता न था । वे लोग हिँसा के बलपर स्वतंत्रता लाना चाहते थे पर फिर भी गांधीजी कि हत्या कर दिया जायेगा कोई सोच ही नहीँ सकता था । देश स्वतंत्र होने के बाद पूना सहर मेँ सर्वसाधारण सभा मेँ मराठा ब्राम्हण समाज नेँ गाधीँजी पर गम्भीर आरोप लगाया जा रहा था क्युँ की गांधीजी दलित और मुसलमानोँ के लिये कुछ ज्यादा ही प्रयत्न कर रहे थे । उन्ही दिनोँ एक कार्यक्रम के दौरान गाधीँजी पुने आ रहे थे , वहीँ उने मारने की एक योजना बनाया गया था पर ये आयोजन असफल रहा , यह शुरवात था अंत अभी बाकी था । आजादी के बाद गांधीजी द्वारा पाकिस्तान को 54 करोड़ देने को लेकर हुए विवाद से देशभर के युवा दंग थे । वही सरदार सहित ज्यादातर राष्ट्रवादी नेता पाकिस्तान को पाठ पढ़ाने के मुड़ मेँ थे परंतु गांधीजी के कारण उन्हे मजबुर होकर 56 करोड़ लौटाना पड़ा था । उनदिनोँ गाँधीजी नेँ यहाँतक कहदिया था कि वे पाकिस्तान जाकर अपना बाकी जीवन बितादेगेँ ।
नथुराम गोड़से जैसे युवा गांधीजी जी के आचरण देखकर तैश मेँ आ गये थे । कोई करे न करे हमेँ गांधी हत्या करना है इस लक्ष को हासिल करने के लिये नाथुराम गोड़से और नारायण आप्टे के साथ मुस्लीम अन्याय सहन करनेवाले मदनलाळ पहावा,विष्णु करकरे एवं गोपल गड़से नेँ भी साथ दिया था । ये लोग मूर्ख न थे इन्होने काफी स्टड़ी करने के बाद इसे अंजाम दिया । .
૩૦ जानुआरी कि वह आया । शायद गांधीजी को अपने मौत का एहसास हो गया था । उस दिन ओल इंड़िया रेडियो के कर्मचारी गांधीजी के प्राथनासभा कि रेकर्डिगं के लिये पहचंगये थे । सुबह के साढ़े तीन बजे उठे गाधीँजी का दिन मेँ 14-15 घंटे बितने के बाद सरदार उनसे मिलने आये । सरदार जी से मिलने के बाद गांधीजी प्राथनासभा कि और लौट रहे थे । मनु और आभा के साहारे वे आगे बढ़ रहे थे कि एक युवक सामने आया उसने गांधीजी के चरणस्पर्श किया मानोँ अर्जुन भीष्म को शरशया देनेँ से पहले अपने सफल होनेँ का बरदान माँग रहा हो । आभा नेँ आगे आ कर उस युवक को कहा भाई बापु का विलम्भ हो रहा है । उसी वक्त नाथुराम नेँ मनु को धक्का देकर तीन गोली छोड़ दिया । आखरी शब्द "हे राम" के बाद दीप बुझगया । लोग दौड़नेलगे सभी नेताओँ के आंख भीगगये । कहाजाता है गांधीजी के शव यात्रा मे 20 लाख लोग सामिल हुए थे और वे लोग गांधीजी के मौत के बाद भी अन्हे जीँदा देखने की इछा रखते थे ।