ब्लॉग आर्काइव

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2016

*महानदी जलविवाद*

#महानदी का #जन्म छतिशगड मे मगर #यौवन व #महासंगम ओडिशा में हुआ है । कभी #चित्रोत्पला के नामसे विख्यात रही यह नदी  लगभग 851 कि.मी लम्बा है जिसमें से केवल 286 km. छतिशगड में आता है ।

ओडिशा के पास ओर भी नदीआँ है लेकिन छतिसगड के पास सिर्फ महानदी ।
छतिसगड के 58.48% जलश्रोत महानदी ओर उसकी शाखा नदीओं के जल ही है ! 1948 में हिराकुद जैसे विशाल #डैम (25√किमी.) बनते समय #मध्यप्रदेश के हजारों लोग जो कि #ओडिआ ही थे को अपना भूमि गवाँना पडा था । आज हिराकुद के 87% हिस्सा छतिशगड में है बाकी ओडिशा में .........

#मध्यप्रदेश छतिसगड सरकार ने कई
बार #हिराकुद से लाभ लेना चाहा लेकिन ओडिशा सरकार ने होने नहीं दिया ......। ज्यादातर लाभ ओडिआओं को ही मिलता रहा ....छतिसगड का पानी ओडिआ लोग पिइते नहाते इंडस्ट्रिल युज करते रहे.......
छतिसगड बेचार ठगा सा वर्षौं मूकदर्शक बनारहा .....

छतिशगड नें महानदी व उसके शाखा नदीओं पर जब बांध बनाने लगा तब #bjd के #कुम्भकर्ण नेताओं कि #निद्रा भंग हुई । वो चिल्लाने लगे ....
लो जी हमें तो बताए ही नहीं ........
#छतिशगड बेवफा है 😂😂😂😂😂
इटिसी......

छतिसगड ने वाकायदा एक विदेशी संस्था #प्राइस वाटर हाउस को द्वारा पहले तो सर्वे किया फिर चतुरता के साथ बडे बांध के वजाय छोटे व मध्यम प्रकल्प लगाया लेकिन ये सब चोरीछिपे नहीं हुआ था । इसका कोई सबुत नहीं कि छतिसगड ने बांध बनवाके #सर्जिकल_स्ट्राइक करदिया हो ओर किसीको पता न चला.......
15 साल पहले प्रारम्भ किएगये तथा
90% काम पुरा हो चुके जलपरियोजनाओं पर #अंतिम अवस्था मे चिल्लाने से #छतिसगड CM का #पुतला जलाने से अब कछ्छु होनेवाला है नहीं........

#ओडिशावालों के पास 2 रास्ते है ....महानदी को बचने के लिये #फ्रिडेलकास्त्रो ......#चे_गुवारा टाइप #विद्रोह करो .........अपना दुजों का घर जलाओ ...... #उत्तरभारतीयों को ढुंढ के भगा भगा के मारो ..... #भारत से अलग हो जाओ

या ,,,,,,,

महानदी के शव को #दानामाझीं के तरह अपने #कन्धों पर ढोने को तैयार हो जाओ........

मुझे पता है ...

पहलावाला अप्सन तुमसे होने से रहा ,,,,,,

तो महानदी के #शवयात्रा में सामिल होने को तैयार रहो........

क्षेत्रवादी कौन ?

#क्षेत्रवादी हमेशा #northeast #eastindian #southindia के लोग ही क्युँ होते है ?.....

क्या सिर्फ उत्तरभारतीय ही सच्चे देशभक्त तथा असली भारतीय है ?

1.
एक पढेलिखे उत्तरभारतीय को भी इन तिनों क्षेत्र के बारे में कम ही पता होता है.....

जबकी किसी तामिलभाषी..बंगाली या.ओडिआ को पुछकर देखिए उत्तरभारत के बारे मे उनसे ज्यादे ही बता देगें ...कमसे कम हमें पता होता है lakhnow युपी का विहार का पटना,भोपाल एम्पी की राजधानी है ......उत्तरभारतीयों को पुछलिजिए ओडिशा कहाँ है जी कहेगें उ केरल कै पास न भैया ...हम गये थे भैया घुमने बहुतै नारियल का पैड होता है उहाँ 😁😁😁

2.
उत्तर भारतीय हमारे भाषाओं को नहीं सिखते उन्हें ऐसी वाहियात भाषाओं को वोलते हुए भी कोई मिलगया न अपने 36 दान्त दिखाने से खुदको रोक नहीं पाते......
इधर हमारे यहाँ के देशद्रोही लोग उनके भाषाओं को भी समझलेते है और ना सिर्फ समझते है वल्की उनके भाषाको वोलकै गर्व भी अनुभव करते है (जैसे हिन्हीभाषी अंग्रेजी बोलकै स्टाईल मारते है 😂😂) ।.

3.
उत्तरभारतीओं द्वारा लिखेगये पुराणों में
दक्षिणभारतीय राक्षस,
पूर्वभारतीय उत्तरपूर्व के लोग म्लैछ यवन आदिवासी असुर आदि बताए गये है ......
हमने फिर भी उनके पुराणों,तौहार धर्म को अपनाया और यहाँतक कि समुचे विश्व में फैलाया लेकिन उन्हें ये भी नागवार गुजरा उन्होने इसका श्रेय आगस्त्य ऋषि को दे दिया ......


4
हिन्दीभाषीओं के स्कुली किताबों में ओडिशा दक्षिणभारत नर्थ इस्ट का इतिहास व जननायकों पर तथ्य नहीं होते ।
नहीं होता उनके किताबों में सुरेन्द्र साए,वक्सी जगबन्धु के बारे में एक लाइन ......
लेकिन हमें पढने को बाध्य किया जाता है रानी लक्ष्मीवाई से लैके चन्द्रगुप्त तक का इतिहास ......

ऐसे सोचने पर कई पोएटं ओर मिलेगें ये प्रुफ करने में कि उत्तरभारतीय ही सच्चे भारतीय है शेष भारत के लोग क्षेत्रवादी जातिवादी विदेशी अनार्य देशद्रोही फलाना ढिमकाना 😏..............

मार्गारेट थार्चर

अपने सोच सम्भालो वो लव्स बनजाएगें......
अपने लव्सों को सम्भालो वो कर्म बनजाएगें......
अपने कर्मों को सम्भालो वो आदत बनजाएगी.....
आदतें सम्भालो वो तुम्हारा चरित्र बनजाएगा......
और चरित्र को सम्भालो क्युँकि ये तुम्हारी तकदीर बनजाएगी.........
हम जो अर्न्तमन से सोचते है बनजाते है.......

●मार्गारेट थ्राचर●

1982 में लातिन अमरिकी
देश अर्जेण्टीना ने #folkland पर अपना कब्जा करलिया....यह प्राय 200 द्वीपों से बना एक ब्रितानी क्षेत्र है । इसके अधिकार को लेकरके ब्रिटेन के साथ आर्जैटिंना का 150 साल से विवाद चल रहा था । दक्षिणी आटलांटिक folkland द्वीप समुहों से ग्रेटब्रिटेन 12000 किलोमिटर दूर है जबकी आर्जेटिंना सिर्फ 500 किमी .....उनदिनों मार्गारेट थार्चर ब्रिटेन कि प्राधानमन्त्री थी .....एक व्यापारी लडकी मार्गेरेट ने युद्ध का राह चुना और आर्जेटिंना अन्ततः हारकर आइलेंड छोडगया ......

मोदी व मार्गेरेट में 2 समानताएँ है

दोनो ही ऐसे ही वक्त पर PM बने जब देश कमजोर हो रहा था....

दोनों ही व्यापारी खानदान से विलोगं करते है
एक दुकानदार कि लडकी
दुजे चायवाला का लडका......