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बुधवार, 28 जून 2017

आस्ट्रोसाइटिक भाषाएं-विश्व कि सबसे प्राचीन भाषाएं----

इस देश में सेंकडो भाषाएं बोली जाती है
लेकिन उनमें सबसे प्राचीन तो द्राविड़-अनार्य भाषा परिवार के
ऑस्ट्रोसाईटिक भाषाएं हीं निर्विवादित माने जा सकते है ।
लोग आर्य भाषाओं को ही श्रेष्ठ मानते है ओर यह उनका नीजी विचार हो सकता है लेकिन
ये बात अब किसी से छिपी नहीं है कि आदिवासियों कि भाषाएं हीं इस देश की सबसे प्राचीन भाषाएं है ।

हाल ही में किये गये वर्गीकरण के मुताबिक सोम-खमेर के पर्याय बड़े हैं.... च्युंकि यह एक
महाद्वीपीय भाषा परिवार है....
इन भाषाओं को बोलने वाले अधिवासी (रेसिडेंट्स)
दक्षिण पूर्व एशिया के भारत, बांग्लादेश, नेपाल,मोरेशियस् और चीन की दक्षिणी सीमा में फैले हुए हैं।
आस्ट्रोकियाटिक शब्द मूलतः लाटिन है ओर "दक्षिण" और "एशिया" दो शब्दों के संधि से बना है ....

इसका आक्षरिक अर्थ हे "दक्षिण एशिया"।
इन भाषाओं में, केवल वियतनामी,
खमेर, और सोम में लंबे समय से स्थापित रिकॉर्ड इतिहास है, और केवल वियतनामी और खमेर में आधुनिक राष्ट्रीय भाषाओं के रूप में आधिकारिक दर्जा प्राप्त है ।
उपनिवेश स्तर पर, खासी को मेघालय में आधिकारिक स्थिति मिली हुई है जबकि संथाली,
हो और मुंदरी झारखंड की आधिकारिक भाषा हैं जिसमें सांताली भाषा भारतीय संबिधान के आधिकारीक २२भाषाओं में भी सामिल है....

वहीं
म्यामांर में, Wa भाषा को वहां के Wa राज्त में आधिकारिक दर्जा प्राप्त है ।  बाकी अस्ट्रोसाईटिक भाषाएं अल्पसंख्यक समूहों द्वारा बोली जाती हैं और उनको आधिकारिक स्थिति नहीं मिली है....

भाषाविदों​को अबतक १६८  Austroasiatic भाषाओं के बारे में पता है जो कि १३ निर्विवादित उपपरिवारों में बंटे हुए है (कुछ भाषावि १४वां उपपरिवार के तौर पर Shompen को भी जोडते है ),
निम्न में उनके नाम इस प्रकार है:-
•Munda
•Khasi – Palaungic
•Khmuic
•Pakanic
•Vietic
•Katuic
•Bahnaric
•Khmer
•Pearic
•Nicobarese
•Aslian
•Monic
ओर
•Shompen ।।।।।।।

वैसे सांस्कृतिक नियमानुसार यह भाषाएं २ उपपरिवारों में विभक्त किये जाते रहे है
१=>सोम-खमेर और
२=>मुंडा
हालांकि, एक हालिया वर्गीकरण के हिसाब से तीन समूह है -मुंडा, मोन-खमेर और अन्य...... 
ज्यादातर भाषाविद इस बात से एकमत हे कि
ऑस्ट्रोआशियाटिक भाषाओं का मूलभाषा भारत में ही जन्मा था जो बादमें माईग्रेसन के वजह से​ बांग्लादेश, नेपाल और दक्षिणपूर्व एशिया में फैला था....
अश्ट्रोसाईटिक भाषाएं बोलनेवाले
प्राचीन अधिवासी च्युंकि अपने पड़ोसी इंडो-आर्यन, ताई-कदई,चीनी-तिब्बती,द्रविड़ियन, ऑस्ट्रोनियन, और दक्षिण पूर्व एशिया की स्वायत्त भाषा के से प्रभावित हुए है अतः आज इनमें काफी पारस्परिक अंतर आ गया है फिर भी मूल शब्द मिल ही जाते है ....

(क्रमशः)

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