मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
शुक्रवार, 19 जुलाई 2013
हिन्दु
वो हिन्दु कैसा जिसे हिन्दोस्तान से प्यार नहीँ ।खडे है तलवार लिये दम है तो सामना करो । गरजते तो कुत्ते भि पर उनका कोइ औकात नहीँ ।देख मुल्लोँ नेँ दिया है तुझे रण ललकार । मारना या मरना है हो जाओ तैयार ।जब जब हिन्दु उठा है लिये हात तलवार । हिन्दुओँ को रोक सके ऐसा कोई हुआ नहीँ । हमको मिटाने आये थे खद ही मिट गये क्या अंग्रेजोँ का हाल हुआ तुम सबकुछ भुल गये ।औकात नहीँ है किसी का जो हम से आँख मिलाये । लुटा सब ने हमको हमने किसी को लुटा नहीँ । हमको सिखानेँ आये थे जैसे हम अनपढ गवार । भारत नेँ गिनती सिखाया सायद इनको ये पता नहीँ । (जय भारती-)
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