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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

हिँदु धर्म मेँ विज्ञान का संगम

विना विज्ञान धर्म अंधा है और विना धर्म के विज्ञान लंगडा हे । कार्तिक मेँ मछली और मांस नहीँ खाते । क्युँ कि कार्तिक मेँ जीवोँ को वसंत रोग होता हे । फागुन मेँ होली खेला जाता हे पहले के जमानेँ मेँ प्राकृतिक रंगोँ से और होली खेलते थे और इन रंग के शरीर पर लगने पर चर्म खराब नहीँ होता था अपितु इस से मेँ औषधिय गुणो से चर्म को धुप से राहत मिलते थे । पहले के जमानोँ मे शिव जी को दुध चढ़ाकर चढ़ाकर लोग बाद मेँ उसे प्रसाद के रुप मेँ ग्रहण करते थे और आजकल वही दुध Total waste जाता हे । हिँदु धर्म मेँ विज्ञान भी हे अंधश्रद्धा भी । जरुरत हे अंधश्रद्धा को मिटाकर सिर्फ विज्ञान सम्मत कार्योँ को किया जो हमारे धर्म मेँ सालोँ से पाला जाता रहा हे । आज महाशिवरात्रि है और महाशिव रात्रि मेँ दीप जलाने तथा उपवास करने पर धार्मिक तौर पर तो फायदा होता हि साथ मेँ क्युँ कि यह कालरात्रि हे और इस दिन दुनिया शिवजी के त्रिशुल से जला था *(ग्रीक ग्रंथोँ मेँ मिलता जुलता प्रसंग आता हे कि ग्रीक युद्ध देवता नेँ दुनिया को अपने त्रिशुल से जला डाला था )* इसे पालन करना चाहिये इससे हम अपने पूर्वजोँ को याद भी कर लेते हे । विज्ञान कि मानेँ तो इसदिन चंद्र कि गुरुत्वाकर्षण सबसे कम होनेँ के वजह से खाना नहीँ खानेँ चाहिये वरना शरीर मेँ कई तरह के रोग हो सकते हे । इसलिये सभी दोस्तोँ से निवेदन हे वो महाशिव रात्रि जरुर करेँ हर तरह से यह प्रामाणिक हे । हिँदु धर्म को विज्ञान के सहारे देखिये वो महान और सर्व श्रेष्ठ लगेगा परतुं अगर बिना परखे जांचे आप किसी भी ढ़ोगीँ बाबा और तांत्रिक कि बातोँ मेँ आ जायेगेँ तो आपका भी क्षति धर्म का भी .....

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