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रविवार, 10 अगस्त 2014

श्रावण पूर्णिमा विशेष

🙏 👏 आज श्रावण पूर्णिमा है ! देश में हर प्रांत में अलग-अलग रूपों में इसे हर्सोउल्हास के साथ मनायी जाती है ।
1.संपूर्ण भारत मेँ आज रक्षाबंधन का तौहार मनाया जाता है । बहनेँ अपने भाईओँ को राक्षी बांधकर लम्बेँ उम्र कि कामना के साथ अपने रक्षा का वचन भी लेती है ।
2.आज भगवती गायत्री जयंती" भी है। यूं तो श्रावण पूर्णिमा पर ही भगवती गायत्री जी की जयंती कही गयी है, पर गंगा दशहरा के दिन भी इनकी जयंती बतलाई गई है।
3.आज देववाणी संस्कृत दिवस भी है। ऐसी मान्यता है कि देववाणी संस्कृत की उत्पत्ति श्रावणी पूर्णिमा को हुई थी। अतः श्रावण मास की पूर्णिमा को 1969 से संस्कृत दिवस की शुरुआत हुई। इस दिन को इसीलिए चुना गया था कि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था।
4.श्रावणी पूर्णिमा के दिन बाबा अमरनाथ के दर्शन की भी बडी महिमा है। श्रावण मास का अंतिम दिन है और बाबा बर्फानी के दर्शन हो जाएँ इससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा?
5.श्रावणी पूर्णिमा के दिन श्रवण कुमार का भी पूजन और स्मरण किया जाता है ।
6.आज लव-कुश जयंती भी है। श्रावण पूर्णिमा को ही श्रीरामचंद्र जी व सीता माता के वीर जुड़वां पुत्रों लव और कुश का जन्म हुआ था। उनका जन्म तथा पालन महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में हुआ था। प्रथम बार रामलीला का वाचन इन दोनों के द्वारा ही किया गया था ।
7. आज ही के दिन भगवन विष्णु हयग्रीव के रुप मेँ प्रकट हुए थे ।
8.तमिलनाडु, केरल, उड़ीसा और महाराष्ट्र में यजुर्वेद पढ़ने वाले ब्राह्मण इस दिन को अवनी अवित्तम के रूप में मनाते हैं। इस दिन पुराने पापों से छुटकारे के लिए महासंकल्प लिया जाता है। ब्राह्मण स्नान करने के बाद नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं ।
9. ओड़िशा मेँ आज बलराम जी विशेष पूजा किया जाता है । श्रीमंदिर मेँ भी आज खास पूजाओँ का आयोजन किया जाता है । ओड़िशा मेँ श्रावण पूर्णिमा को गन्हा पूर्णिमा कहा जाता है । जिन बहनोँ कि कोई भाई नहीँ होते वे आज बलराम जी को राक्षी भेँट करती है । आज गोमाता को भी पूजा किया जाता है और चावल के आटे से बना पिठा खिलाते है ।
10.गुजरात में शिव भगवान की उपासना बड़े जोर-शोर से होती है। पूरे साल लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। श्रावण पूर्णिमा जल चढ़ाने का अंतिम दिन होता है। इस दिन शिव जी का पूजन भी होता है। पवित्रोपना के तहत रूई की बत्तियाँ पंचग्वया (गाय के घी, दुध, दही आदि) में डुबाकर शिव को अर्पित की जाती हैं ।
11.श्रावण पूर्णिमा को दक्षिणभारत मेँ नारियली पूर्णिमा के रुप मेँ मनाया जाता है । पश्चिमी घाट पर रहने वाले लोगों का एकमात्र आधार समुद्र ही है। समुद्री सामग्री पर जीवन निर्वाह करने वाले लोग इस दिन समुद्र के देवता वरुण की पूजा करते हैं । मछुआरे अपनी-अपनी नावों को सजाकर समुद्र के किनारे लाते हैं। नाचते गाते हैं और वरुण देवता को नारियल अर्पित कर प्रार्थना करते हैं कि उनका जीवन निर्वाह अच्छे से हो ।
12. आज हि के दिन को मध्यभारत मेँ कजरी पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है । यह त्योहार भी श्रावण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है। कजरी पूर्णिमा को मध्य भारत में खासकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में मनाया जाता है । (source ..INTERNET)

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