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गुरुवार, 18 अगस्त 2022

दायित्व किसे सौंपें ?(रामकृष्ण शास्त्री)


एक गांव में मदनसिंह नाम का एक पहलवान रहता था । उसने अनेक कुश्तियां लड़ीं , अनेक पहलवानों को धूल चटायी और अनेक पुरस्कार प्राप्त किये । यह सब कुछ गांव के मुखिया से छिपा न था । 

इसलिए उसने मदनसिंह के कहने पर फौरन उसे गांव के पंचायत का चौकीदार नियुक्त कर दिया । - मदनसिंह को गांव की तरफ से कर वसूली का काम सौंपा गया , जिसे वह बड़ी ईमानदारी के साथ करता था । लेकिन एक रात चोरों ने मौका पाकर पंचायत घर का ताला तोड़ा और वहां से इकट्ठी का गयी तमाम राशि लेकर चंपत हो गये । मुखिया को जब इसकी खबर मिली तो उसका पारा एकदम चढ़ गया । उसने मदनसिंह को बुलवाया और उससे पूछा , 


" उन चोरों को तुमने क्यों नहीं पकड़ा ? क्यों नहीं तुमने उनका मुकाबला किया ? आखिर , बात क्या थी ? ” 

इस पर मदनसिंह ने बड़े सहज भाव से कहा , " मालिक , जब मैं कुश्ती लड़ता हूं तो लोग सीटियां बजा बजा कर मेरी हिम्मत बंधाते हैं । वे तालियां पीटते हैं जिससे अपने मुकाबले पर आये दूसरे पहलवान को पटकने के लिए मुझ में तूफानी जोश भर जाता है । रात को चोर जब पंचायत का खज़ाना लूटने लगे , तो उस समय मुझे जोश दिलाने वाला कोई नहीं था । इसीलिए मैंने उनका सामना नहीं किया । मैं क्या करूं , लाचर था । "

 और यह कहकर मदनसिंह अपनी मूंछों पर ताव देने लगा । मदनसिंह की बात सुनकर मुखिया की आँखें खुलीं । उसे पहली बार इस बात का एहसास हुआ कि किसी की शक्ल - सूरत देखकरं ही उसे दायित्व नहीं सौंप देना चाहिए , उसके स्वभाव को जानना भी बहुत ज़रूरी है ।
 
लेखक - रामकृष्ण शास्त्री

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