छत्रपुर राज्य में एक ज्योतिषी रहता था। नाम था कंर्कट शास्त्री। वह इस बात का दावा करता था कि देवी की उस पर विशेष कृपा है और इसलिए वह किसी भी घटना अथवा अपराध की सच्ची जानकारी बता सकता है। उसने इसी आधार पर राजा का विश्वास प्राप्त कर दरबार में एक विशेष स्थान बना लिया था । राजा फरियादों और शिकायतों के बारे में कर्कट शास्त्री की सलाह के अनुसार ही फ़ैसला सुनाते । शास्त्री को जो अधिक घूस देता, वह उसी के पक्ष में फ़ैसला दिलवा देता ।
यह अफ़वाह राजा तक पहुँच गई। राजा ने मंत्री से इस बात की सच्चाई का पता लगाने के लिए कहा। मंत्री ने राजा को इसके लिए एक उपाय सुझाया। दूसरे दिन राजा ने कर्कट शास्त्री से कहा- "हमारे दरबार के एक अधिकारी श्रीपति ने किसी पर घूस लेने का आरोप लगाया है। मैंने किसी कारण वश उस व्यक्ति का नाम गुप्त रखा है। आप श्रीपति की शिकायत की सच्चाई का पता लगा कर कल दरबार में आकर बताइए । यदि वह व्यक्ति सचमुच रिश्वतखोर साबित हुआ तो उसे कठिन दण्ड दिया जायेगा ।
उसी दिन रात को श्रीपति कर्कट शास्त्री के घर पहुँचा और बोला- "मैंने एक व्यक्ति पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। यदि यह आरोप सच साबित न हुआ तो राजा मुझे कठिन दण्ड देंगे। इसलिए सहायता
के लिए मैं आप के पास आया हूँ।" यह कह कर श्रीपति ने शास्त्री के हाथ एक हज़ार सिक्के दिये रख दी । दूसरे दिन दरबार में जब राजा ने श्रीपति की शिकायत के बारे में शास्त्री से पूछा तो उन्होंने देवी का नाम लेकर ध्यान करके कहा- "जय देवी ! महाराज, श्रीपति की शिकायत बिल्कुल सही है।"
राजा ने तुरन्त सिपाहियों को आदेश दिया- "कर्कट शास्त्री को बन्दों बना लो ।"
शास्त्री काँपता हुआ बोला- "महाराज! मुझे किस अपराध में बन्दी बनाया जा रहा है ?" "श्रीपति ने जिस व्यक्ति पर घूस लेने का आरोप लगाया था, वह आप ही हैं।" राजा ने उत्तर दिया ।'
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