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गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

Closed-Mindedness क्या है ? ये कितनी प्रकार कि होती है ?

एक विद्वान ने राजदरबार में तीन खोपड़ी लाकर उनके माध्यम से तार की परीक्षा की। पहले खोपड़ी में तार एक कान से प्रवेश करके दूसरे कान से निकल गया। दूसरे खोपड़ी में तार एक कान से प्रवेश करके मुंह की ओर निकल गया। तीसरे खोपड़ी में तार एक ओर के कान से प्रवेश किया, लेकिन किसी भी रास्ते से बाहर नहीं निकला। विद्वान ने इसका अर्थ समझाने के लिए पंडित मंडली से अनुरोध किया। सभी पंडित असफल होने पर कालिदास ने कहा, "पहला खोपड़ी अधम, दूसरा मध्यम, और तीसरा उत्तम व्यक्ति का है।" राजा ने इसका कारण पूछा। कालिदास ने समझाया: अधम खोपड़ी जिस व्यक्ति का था, वह अपने कान से ज्ञान सुनता था, लेकिन उसे ग्रहण न करके भूल जाता था। मध्यम खोपड़ी जिस व्यक्ति का था, वह ज्ञान सुनता और ग्रहण करता था, लेकिन उसे आत्मसात न करके केवल दूसरों को बता देता और भूल जाता था। उत्तम खोपड़ी जिस व्यक्ति का था, वह ज्ञान ग्रहण करके आत्मसात करता था और जीवन में उसका उपयोग भी करता था।
परंतु मैं कहता हूँ कि कालिदास के युग में उस विद्वान को चौथा प्रकार का खोपड़ी मिला ही नहीं था। इस प्रकार का खोपड़ी उन दिनों बहुत दुर्लभ था और इस तरह के खोपड़ी के कान का छेद ही नहीं होता है। यदि छेद होता, तो खोपड़ी में तार डाला जा सकता था! यह खोपड़ी जिसका है, वह अधम से भी हीन है, क्योंकि वह ज्ञान प्राप्त करने या नई बातें जानने से घृणा करता है। ऐसे व्यक्ति ज्ञान या विज्ञान की बात सुनने को बिल्कुल तैयार नहीं होते, पूरी तरह अज्ञानी और मूर्ख रहते है। आज के समय में ऐसे खोपड़ीवले लोगों कि भरमार है समाज में पर कालिदास के समय यह दुर्लभ हुआ करते थे । 

चौथे प्रकार के खोपड़ीवाले व्यक्ति की मानसिक अवस्था "Closed-Mindedness" जैसी होती है। यह मानसिक अवस्था नए दृष्टिकोण या ज्ञान को ग्रहण करने की अनिच्छा पैदा करती है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति ज्ञान-विज्ञान की बात सुनने को बिल्कुल तैयार नहीं होता और अज्ञानी रह जाता है। यह अधम प्रकार से भी हीन है क्योंकि इस अवस्था में व्यक्ति नए ज्ञान के सभी प्रवेश पथ (लाक्षणिक अर्थ में: कान) ही बंद कर देता है।

Closed-Mindedness मन की ऐसी अवस्था है जिसमें प्रभावित व्यक्ति नई बातें, विचार, मत या ज्ञान को सुनने या ग्रहण करने को बिल्कुल तैयार नहीं होता। वह अपनी पुरानी मान्यताओं, आदतों या विचारधारा में इतना अटल रहता है कि किसी भी नए परिवर्तन का विरोध करता है। सरल भाषा में कहें तो यह बंद मन की मानसिक अवस्था है, जिसमें नई बातें प्रवेश करने का कोई रास्ता ही नहीं होता। फलस्वरूप, ऐसे लोग अज्ञानी रह जाते हैं और जीवन में उनकी बौद्धिक प्रगति अपेक्षानुरूप नहीं हो पाती। यह बुद्धिजीविता विरोध का एक प्रमुख रूप है, जिसमें ज्ञान प्राप्त करने की संभावना ही बंद हो जाती है।

मान लीजिए, एक बुजुर्ग व्यक्ति स्मार्टफोन का उपयोग करने को बिल्कुल सहमत नहीं होता। वह कहता है, "पुराना फोन ही अच्छा है, नई चीजें सीखने की क्या जरूरत?" उसके परिवार वाले उसे मोबाइल रखने के फायदे कई बार समझाते हैं, लेकिन वह सुनने की कोशिश ही नहीं करता, बल्कि कभी-कभी क्रोधित हो जाता है। यह Closed-Mindedness का एक सरल उदाहरण है – नए ज्ञान का द्वार बंद रहने से वह पीछे रह जाता है। Closed-Mindedness के विभिन्न प्रकार हैं।

Religious Closed-Mindedness से प्रभावित व्यक्ति अपनी धार्मिक मान्यताओं में इतना अटल रहता है कि अन्य धर्मों या दृष्टिकोण को सुनने या समझने को तैयार नहीं होता। वह अपने धर्म को एकमात्र सत्य मानता है। पठान और ख्रिश्चन लोग अक्सर इस मानसिक अवस्था से प्रभावित होते हैं।

एक व्यक्ति अपनी राजनीतिक पार्टी की मान्यताओं में इतना अटल है कि विपक्षी पक्ष की कोई भी अच्छी बात सुनने को तैयार नहीं होता। उदाहरण के लिए, वह कहता है, "मैं उनकी बात कभी नहीं सुनूंगा, वे सब गलत हैं।" इसके फलस्वरूप, वह नए दृष्टिकोण को ग्रहण नहीं कर पाता और सत्य के पथ पर नहीं चल पाता। भारत में वर्तमान में विपक्षी दलों के नेता और सदस्य अक्सर इस मानसिक अवस्था से प्रभावित हैं। इसे Political Closed-Mindedness कहा जाता है।

Scientific Closed-Mindedness से भी कई लोग प्रभावित हैं। इस मानसिक अवस्था में प्रभावित व्यक्ति वैज्ञानिक प्रमाण या नए आविष्कार को अस्वीकार करता है क्योंकि यह उसकी पूर्व मान्यताओं या आदतों के विरुद्ध होता है। ये लोग वैज्ञानिक तथ्यों पर अविश्वास करते हैं। जब टेलीफोन का आविष्कार हुआ, तो उस समय के पठानों ने इसे शैतान की आवाज कहकर विरोध किया था। आज भारत जैसे सहिष्णु हिंदुओं के देश में दिन में पांच बार नमाज की अजान लाउडस्पीकर से बजती है। जीवाश्म विज्ञान हो या विकासवाद विज्ञान, लाखों लोग ऐसे हैं जो आधुनिक युग में इतने वैज्ञानिक शोधों के बाद भी इन्हें स्वीकार नहीं करते। Flat Earther हों या सात दिन में ब्रह्मांड की सृष्टि की बात करने वाले धार्मिक अंधविश्वासी, विज्ञान को न मानने वाले Scientific Closed-Mindedness के शिकार लाखों लोग मिल जाएंगे।

एक अन्य मानसिक अवस्था Social Closed-Mindedness है। इसमें प्रभावित व्यक्ति लोग की उम्र, जाति, लिंग, संस्कृति या सामाजिक स्थिति के आधार पर उनकी योग्यता और क्षमता का आकलन करते हैं और उन्हें छोटा मानकर उनके मत को ग्रहण नहीं करते। ये लोग अपनी संस्कृति या समूह को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति गांव से आए लोगों को "अज्ञानी" मानता है और उनकी अनुभव या मत को सुनने में रुचि नहीं लेता। कोई महिला चाहे कितनी कुशल ड्राइवर हो, इस प्रकार के लोग हमेशा संदेह करते हैं कि वह गाड़ी चलाते समय दुर्घटना कर देगी। कम उम्र के व्यक्ति चाहे कितना सच कहें, Social Closed-Mindedness से प्रभावित वयस्क उसकी बात नहीं सुनते।

Personal Closed-Mindedness वाले व्यक्ति भी हैं, जो अपनी व्यक्तिगत आदतों, जीवनशैली या विचारधारा में अटल रहते हैं और नए परिवर्तन को आसानी से स्वीकार नहीं करते। ये अपनी अज्ञानता को अस्वीकार करते हैं। उदाहरण के लिए, इस मानसिक अवस्था वाला व्यक्ति स्मार्टफोन या इंटरनेट को "अनावश्यक" मानता है और पुराने फोन का उपयोग जारी रखता है। नई तकनीक उसका जीवन सरल कर सकती है, लेकिन वह इसमें रुचि नहीं लेता।

Cultural Closed-Mindedness वाले लोग भी हैं, जो अपनी संस्कृति या परंपरा को ही पृथ्वी पर एकमात्र उपयुक्त और सही मानते हैं और अन्य संस्कृतियों के रीति-रिवाजों को समझने की कोशिश नहीं करते, बल्कि आवश्यक होने पर उनका विरोध भी करते हैं। उदाहरण के लिए, अब्राहमिक समुदाय, विशेष रूप से पठान और ख्रिश्चन, अपनी धर्म और संस्कृति को ही सर्वश्रेष्ठ बताकर दूसरों की धर्म और संस्कृति को कमतर या हीन दिखाने की हमेशा कोशिश करते हैं।

Educational Closed-Mindedness से प्रभावित लोग भी देखे जाते हैं। इस प्रकार के व्यक्ति नई शिक्षण पद्धति, ज्ञान या शिक्षा के स्रोत को ग्रहण नहीं करते। ये अपने पुराने ज्ञान को ही सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। उदाहरण के लिए, आज भी कुछ शिक्षक हैं जो नई डिजिटल शिक्षण पद्धति को "अनुपयोगी" मानते हैं और पुरानी ब्लैकबोर्ड पद्धति से ही पढ़ाना जारी रखते हैं। नई शिक्षण पद्धति छात्रों के लिए अधिक सहायक हो सकती है, लेकिन Educational Closed-Mindedness का शिकार शिक्षक ऐसा होने नहीं देते।

इस प्रकार विभिन्न प्रकार के Closed-Mindedness के शिकार लोग हैं। Closed-Mindedness जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अज्ञानता और विभाजन को बढ़ाता है। यह मानवजाति की प्रगति के मार्ग में कांटे की तरह कार्य करता है। प्राचीन काल से अब तक नया कुछ जानने, नया कुछ करने की निरंतर कोशिश के कारण मानवजाति आज Type I civilization नहीं हुई, तो भी Type 0.7 civilization निश्चित रूप से बन चुकी है। सोचिए, यदि मानवजाति में नई बातें, विचार, मत या ज्ञान को सुनने या ग्रहण करने की इच्छा न रखने वाले Closed-Mindedness वाले लोगों की संख्या बढ़ जाए, तो क्या होगा? मानव समाज फिर से जंगली हो जाएगा और बाघ, भालू, वानरों की तरह असभ्य होकर रह जाएगा। अतः Closed-Mindedness से प्रभावित लोग मानवजाति के लिए आटे में कीड़े के समान हैं। मानव समाज से Closed-Mindedness का विनाश ही मानवजाति का मंगल है!

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