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मंगलवार, 30 जुलाई 2013

संस्कुति संस्कार का रक्षा करेँ । देश बचायेँ ।।

देश कि रक्षा करना चाहते है तो पहले अपने संस्कार संस्कृति को अपनायेँ । पाश्चात्य संस्कृति विलासी जारुर हो सकते है पर इनमेँ इतनी शक्ति नहीँ कि ये एक मानव को महामानव वना सके ।।भारत के लोग आज ईसा मसिह ,हजरत महमद की वातेँ करते करते ये भुलजाते है की उनसे कहीँ ज्यादा संत्थो ने भारत मेँ जन्म लिया है । संथ कवीर,नाम देव,रामदेव,सुरदास,रसखान,प्रभु चैतन्य, श्री मा,श्री ठाकुर,रामदास,मीरा से लेकर दयानंद सरस्वती तक अनगिनत महापुरुष और साध्वीओँ कहे गये वचन को अगर एक पुस्तक मेँ छापेँ तो वो दुनिया का सबसे वृहत ग्रन्थ वनजायेगा । युनान (ग्रीस) की हालत देख कर कभी कभी डर लगने लगता है कहीँ हमारा भी यही हाल ना हो जाय ।कभी उनका भी समृद्ध संस्कृति था । और आज हम भी उसी दौर से गुजर रहे है ।आज जिस तरह भारत के युवा पाश्चात्य धर्म और संस्कृति के प्रति आग्रह दिखा रहे है लगरहा है अब वो दिन दुर नहीँ जब हिन्दु धर्म और त्यौहार सिर्फ किताबो मेँ पढा सुना जायेगा ।

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