मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
सोमवार, 15 जुलाई 2013
चाणक्य उपदेश
एक विद्वान भी दुखी हो जाता है अगर वह किसी मुर्ख को उपदेश देताहै, यदि वह एक दुष्ट पत्नी का पालन करता है या किसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है (चाणक्य)
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