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शनिवार, 28 मार्च 2015

भारतीय परेट मेँ ज्यादातर प्रोटोकल अंग्रेजोँ से प्रेरित है

भारत मेँ स्वतंत्रता दिवस व गणतन्त्र दिवस जैसे खास मौकोँ पर परेट मेँ जो प्रोटोकल होता है उसमेँ से ज्यादातर व्रिटिश परंपरा से प्रेरित है । व्रितानी सेना कि यह प्रोटोकॉल युनानीओँ को देखकर बनाया गया था ।
‪#‎ वायाँ_पैर_पहले‬Left right left
*भारतीय संस्कृति मेँ गृह प्रवेश जैसे शुभ अवसर पर दाँये पैर पहले रखाजाता है पर सेना मेँ वायाँ पैर , इसलिये लेफ्ट राईट लेफ्ट शब्द प्रचलित हुआ है ।
‪#‎ चियर्स‬और ‪#‎ टोस्ट‬
* भारतीय नौसेना से कोई उच्च अफिसर अथवा नौसेना चीफ किसी पार्टी मेँ सामिल होते हुए गर उन्हे ड्रिक लेना होता है तो आम सैनिक जमीन मेँ बैठकर ड्रिँक लेकर उनका सम्मान बढ़ाते है । मूल रूप से यह परंपरा भी व्रिटिशरोँ कि देन है । इस विषय पर
कहाजाता है कि किँग जोर्ज 4 अपने नौसेना से मिलने जब विशालकाय जहाजोँ मेँ जाते थे तब सैनिक उनके सम्मान मेँ खड़े होकर खाली प्याली उँचा दिखाते । तब किँग उन्हे कहते कि आप लोगोँ को युँ खड़े होने कि जरुरत नहीँ , तुम्हारी वफादारी पर मुझे पुरा भरोसा है । इसतरह यह चियर्सवाली परंपरा ब्रिटिस सेना मेँ शुरुहुआ ।
#टोस्ट
किँग जॉर्ज 4थे जब एकबार जहाज मेँ सैनिकोँ से मिलने आ रहे थे तब उनका सिर जहाज कि एक रुम कि प्रवेश द्वार पर जोर से टकरागया ! वह वेहोश हो गये थे ! थोड़े स्वस्थ होने पर जमिन पर बैठकर हि उन्होने सैनिकोँ से बातचीत कि ! अब राजा के आगे भला सैनिक कैसे बैठ सकते थे ? पर राजा के बोलने पर वो भी जमिन पर बैठ गये ! उस दिन ब्रिटिस सैन्य किसी भी उच्च अधिकारी के आनेपर जमिन पर बैठकर टोस्ट करता है !!!
*मरुन रंग कि हेट
मरुन रंग सेना कि रंग नहीँ मानाजाता पर भारतीय हवाई दल के पेराशुट जवान मरुन रंग कि केप पहनते है ।
‪#‎ सर_फेड्रीक_व्रा उनीँग‬
ने ब्रिटिस शासन के समय भारतीय सेना से खास सैन्योँ को चुनकर हवाई दल बनाया था ! नोर्थ आफ्रिका मेँ जब वह अपने जवानोँ को साथ गये थे उन्होने देखा कि उन जवानोँ मेँ जोश कम था ! उन्होने जब इसबात का जिक्र अपनी बीवी जानीमानी औपनैसिक
‪#‎ केफेने_दु_मोरीअ र‬
को बताया उन्होने मरुन रंग कि सिफारिस कि ! ब्राउनिँग ने ऐसा हि किया
और उसदिन से आजतक इस जथ्था नेँ कई जंगोँ मेँ अपने जोश का पदर्शन किया !
आज हेट की जगह कैप नेँ ले ली पर रंग तो मरुन ही है !
‪#‎ सलाम‬सल्युटवाली परंपरा
सल्युट करनेवाली पद्धति के बारे मेँ बहुत कम लोग हि जानते होगेँ ! सलाम यह बताने के लिये कियाजाता है कि सलाम करनेवाला राजा या मुख्य अतिथी का वफादार है ! सैनिक अपने हाथ दिखाता हे वह बिना शस्त्र के होता है और वो सल्युट करते हुए प्रमाण करता है कि वो मुख्य अतिथी तथा राजा के हमलावरोँ मेँ से नहीँ है ।
नौसेना मेँ सैनिक सलाम करते समय एक हाथ पीठ पिछे कर देते है !
राजा के जमाने मेँ जहाज पर हमेशा काम चलता रहता था ,जवानोँ के हाथ मेँ ग्रीस ,कालादाग और तेल जैसी चिजेँ लगकर गंदा हो जायाकरता था ! अब राजा और दुसरे राजकर्मचारीओँ को गंदे हाथ न दिखाने के लिये वायाँ हाथ पीठपिछे छुपादिया जाता था
! नौसेना के सैनिक आज भी ऐसे ही सलाम करते है ।
‪#‎ अलग_अलग_रेजिमेँ ट‬
ब्रिटेन मेँ प्राचीन कहावत है कि सैनिक कभी देश के लिये नहीँ लढ़ा करते ! वे अपने रेजिमेँट ,वटालियन ,कंपनी ,प्लाटुन अथवा अपनेदल के मुख्य के लिये लढ़ता है और मरजाता है । इसलिये ब्रिटिस सेना मेँ अलग अलग रेजिमेँट बनाया गया ! जबकी भारतीय सैनिक प्राचीनकाल से अपने देश ,मातृभूमिके लिये लढ़ते आ रहे है । और आज हमारे सेना मेँ यह रेजिमेँटवाली संस्कृति घुसगया है ।
कुछ और ब्रिटस सैन्य परंपरा भी है जो आज भी हमारे भारतीय सेना मेँ पायाजाता है ।
जैसे
1. प्रधानमंत्री को 100 और अन्य अधिकारीओँ को 50 सैनिक गार्ड अफ ओनर देते है
2.एयरफोर्स कि सैन्य भोज मेँ उच्च अफसरोँ के भोजन करने व घर लौटने के बाद कोई सैनिक मेस छोड़ सकता है ।
3.परेड मेँ बिना शस्त्र के मार्च करनेवाले एकमिनिट मेँ 116 और बंदुक के साथ परेट करनेवाले एक मिनिटमेँ 120 कदम चलते है ।
4.कर्नल और अन्य उच्च अधिकारी गले मेँ कोई हमला न करेँ इसलिये लाल रंग के मफलर बांधते है , इस मफलर को गार्जेट पेचीस कहते है ।
5.गढ़वाल और गुर्खा राईफल्स जवान डवल फेल्ट हेट लगाते है ।
6.रेजिमेँट का कमर पट्टा का रंग भी अलग अलग होता है

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