ओड़िशा मेँ एक कवि हुए है श्री रघुनाथ दास जी ! ये बड़े मजाकिआ शख्सियत वाले व्यक्ति मानेजाते है ।
1938 के दिनो मे रेवेन्सा कलेजिएट स्कुल मेँ पढ़ते समय
कवि महोदय अपने कौतकप्रिय कारनामोँ के लिये पुरे छात्रावास मेँ फैमस हो गये थे ।
उनका एक सहपाठी हुआ करता था सोमनाथ ! उसका नया नया रेवेन्सा मेँ दाखिला हुआ ! उस विचारे कि बकरी टाईप दाढ़ी थी इसलिये उन्हे छात्रावास मेँ बकरीमानव उपनाम दिया गया ! चंद दिनोँ मे ये उपनाम बदलकर सोमु बकरी हो गया ।
छात्रोँ के चिढ़ाने से सोमनाथ काफी परेशान हो गया था । राहुल गांधी कि भाँति रोज नये नये उपनाम बनाया जा रहा था । अब तो सोमनाथ बकरी नाम से ही चिढ़ने लगा था ।
अंततः उसे पताचला कि इन सबके पिछे रघुनाथ दास का दिमाग है ।
एक दिन रघुनाथ से हार कर उनसे संद्धि के लिये विवश हुए सोमनाथ बाबु ।
मध्यस्त बने वृन्दावन आचार्य मृत्युजंय पण्डा व अन्य साथी ।
तय हुआ सोमनाथ पुरे छात्रवास को उनके मनमाफिक रसगुला खिलाएगा बदले मेँ छात्रवास के छात्र उसे बकरी कहकर चिढ़ाना बंद करेगेँ ।
अब रसगोला खा के छात्रावास के लोँडे वापस लौट रहे थे संयोगवश तभी एक बकरी छात्रावास कि दिवार चढ़ने कि कोशिश करती पायी गयी ।
रघुनाथ को मजाक सुझा
वे सोमनाथ को बकरी दिखा कर कहने लगे
देखो सोमु मैँ वचनवद्ध हुँ अतः बकरी नहीँ कहुगाँ
अफ इस दाढ़ीवाले जीव को तुम वाघ समझो
इस बात से पुरा छात्रावास ठहाका मारकर हँसने लगा
इस बात से सोमनाथ फिर चिढ़गया !
वर्षोँ वाद रघुनाथ व सोमनाथ वकालत करने लगे । एक केस मे उनका आमना सामना हुआ ।
रघुनाथ का आदमी निर्दोष था वहीँ सोमनाथ सरकारी वकील ।
केस मे सोमनाथ का पलड़ा भारी था ।
किन्तु रघुनाथ भी कम चालाक नहीँ थे उन्हे सोमनाथ कि बकरीवाली कमजोरी याद थीँ ।
उन्होने साक्ष को कहा जब सरकारी वकील पुछेगा ‘ कहाँ गया था ’ कहना ‘गरीब आदमी हुँ साव, बकरी चराने गया था ।’ । कोर्ट मेँ सोमनाथ ने साक्ष से पुछताछ कि तो उसने बकरी चराने जाने कि बात कह दी !
बकरी का नाम सुनते ही सोमनाथ आग वबुला हो गये
और साक्ष को देने लगे गाली !
वेचारा जर्ज भी हैरान आखिर ये माजरा क्या है ।
सिर्फ क्रोध के कारण जीता हुआ केस हारना पड़ा था सोमनाथ को । क्रोध व आवेश मेँ आकर वे सटिक तर्क नहीँ कर सके और रघुनाथ जी से केस हार गये थे ।
रघुनाथजी ने अपने जीवनकाल मे वकालात करने के अलावा कई सर्ट स्टोरी ,कविता व प्रबन्ध लिखे है और मुझे उनके द्वारा लिखागया August pandara
दिर्घ कविता तथा Kaha re gacha kahinki malu सर्ट स्टोरी पसंद है ।
कम्युनिष्ट विचारधारावाले इस कवि ने हर मतवाद का समर्थन किया व भागलिया वे भूदान आन्दोलन
तथा छात्र जीवन मे स्वतंत्रता संग्राम से भी जुडे थे ।
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