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सोमवार, 3 अप्रैल 2017

●●●●खुनी शनिवार~संघाई बेबी●●●●

शीर्षक: खूनी शनिवार, शंघाई, चीन, 1937

यह चित्र सबसे प्रभावशाली तस्वीरों में से एक है ।
1935 के बाद से ही
जापान ,चीन ओर अन्य एसिआई देशों में खुलेआम बमबारी और अपना धाक मजबुत करने में जुटा हुआ था....

जापान के हमलावरों ने शनिवार, 28 अगस्त, 1 9 37 को दिन के बीच में शंघाई पर हमला करने के बाद यह तस्वीर ली गई थी ।

बम एक रेलवे स्टेशन पर गिराए गए थे जहां जापानी शरणार्थी ठहरे हुए थे ।

तस्वीर को बम गिरने के कुछ मिनट बाद लिया गया ।
चीनी फोटोग्राफर एच.एस. वोंग ने यह फोटो लिया था ।
उन्होंने एकबार उस दिन के घटना को याद करते हुए
कहा था
"वह बडे भयानक दिन थे ।
हमसब डरे हुए थे
इंसान जैसे लाश बनगये थे
हमें खुदको बचाने के लिए लाशों को लांघकर भी जाना होता था....उस दिन मेरे जूते खून से भिगो गए थे।"

वोंग ने अकेले बच्चे को अकेले में मृत मां  के साथ रेल पटरियों पर देखा उसने बच्चे को मदद करने के लिए जाने से पहले तस्वीरें लीं, जो जल्द ही उनके पिता ने ले लिया था ।

चीनी प्रेस से जारी की गई इस तरह के कई तस्वीरों ने विदेशों में नाजीवाद कि बर्बरता को जगजाहिर करदिया था.....

द ब्लडी सटरडे(शंघाई बेबी) फोटो ने लोगों में  सहानुभूति और और नाजीवाद फासीवाद के खिलाफ उनके रुख बदले....क्योंकि यह हर प्रमुख समाचार स्थल पर जारी किया गया था और भी जनजागरण बढा था ।

शंघाई बच्चे ने देश को चौंका दिया, और युद्ध की निंदा जापान पर टूट गई ।

यह तस्वीर तबाही, मौत और दुःख को दिखाता है कि युद्ध कितना भयावह होता है .....

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