वह एक शांत रात था । आकाश में तारे टिमटिमा रहे थे। अमेरिका के एरिज़ोना राज्य में एक छोटा सा गाँव, पीडमॉन्ट। इस गाँव में कुछ ही परिवार रहते थे, और वे सुख-शांति से अपना जीवन बिता रहे थे।
उसी रात, अमेरिका का एक सैन्य उपग्रह, स्कूप-7, अंतरिक्ष से नमूने एकत्र करके पृथ्वी पर लौटने की तैयारी कर रहा था। लेकिन, यह नियंत्रण खो बैठा और एरिज़ोना के पीडमॉन्ट गाँव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
अगली सुबह, दो सैनिक, लेफ्टिनेंट शॉन और लेफ्टिनेंट क्रेन, स्कूप-7 उपग्रह की खोज में पीडमॉन्ट गाँव पहुँचे। लेकिन गाँव में पहुँचते ही उन्होंने एक भयावह दृश्य देखा। गाँव की सड़कों पर लोग मृत पड़े थे। कुछ घरों में, कुछ सड़कों पर, और कुछ अपने काम करते हुए अचानक मर गए थे। एक अज्ञात शक्ति ने उनकी जान ले ली थी। लेकिन आश्चर्य की बात थी कि गाँव में दो लोग अभी भी जीवित थे—एक बुजुर्ग पीटर जैक्सन और एक छह महीने का शिशु, जेमी रिटर।
सैनिकों ने स्कूप-7 उपग्रह ढूंढ लिया, लेकिन वे स्वयं भी एक अज्ञात शक्ति का शिकार हो गए। उनका रेडियो संपर्क टूट गया, और वे भी मृत्यु को प्राप्त हो गए।
इस घटना ने अमेरिका के सैन्य और वैज्ञानिक समुदाय में हड़कंप मचा दिया। सरकार ने तुरंत एक गुप्त परियोजना, ‘वाइल्डफायर’ को सक्रिय किया। यह परियोजना नेवादा रेगिस्तान में भूमिगत निर्मित एक अत्याधुनिक गुप्त प्रयोगशाला थी। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष से आए अज्ञात जीवाणुओं या पदार्थों का अध्ययन करके मानवजाति को सुरक्षा प्रदान करना था।
इस परियोजना के लिए चार वैज्ञानिकों को नियुक्त किया गया:
- डॉ. जेरेमी स्टोन, एक प्रसिद्ध सूक्ष्मजीवविज्ञानी और दल के नेता।
- डॉ. पीटर लेविट, एक रोग विशेषज्ञ।
- डॉ. चार्ल्स बर्टन, एक पैथोलॉजिस्ट।
- डॉ. मार्क हॉल, एक सर्जन और एकमात्र अविवाहित वैज्ञानिक, जिन्हें "Odd Man Hypothesis" के अनुसार महत्वपूर्ण निर्णय लेने का दायित्व सौंपा गया था।
ये चार वैज्ञानिक पीडमॉन्ट से प्राप्त स्कूप-7 उपग्रह और दो जीवित व्यक्तियों—पीटर जैक्सन और शिशु—को लेकर वाइल्डफायर प्रयोगशाला पहुँचे।
प्रयोगशाला में पहुँचने के बाद वैज्ञानिकों को पता चला कि स्कूप-7 एक अज्ञात जीवाणु लाया था, जिसे उन्होंने ‘एंड्रोमेडा स्ट्रेन’ नाम दिया। यह जीवाणु बहुत छोटा, लेकिन अत्यंत घातक था। यह मनुष्य के रक्त को कुछ ही सेकंड में सुखा देता था, जिसके परिणामस्वरूप तत्काल मृत्यु हो जाती थी। लेकिन आश्चर्य की बात थी कि इस जीवाणु ने पीटर जैक्सन और शिशु को क्यों नहीं मारा?
वैज्ञानिकों ने दिन-रात शोध शुरू किया। उन्होंने पाया कि एंड्रोमेडा स्ट्रेन कोई जैविक जीवाणु नहीं, बल्कि एक क्रिस्टलाइन संरचना थी, जो अंतरिक्ष से आई थी। यह तेजी से बढ़ता था और ऊर्जा सोखकर स्वयं को पुनर्जनन करता था। इसका सबसे भयानक गुण था कि यह प्रतिरोधक शक्ति के खिलाफ स्वयं को बदल सकता था।
शोध के दौरान वाइल्डफायर प्रयोगशाला में एक नई समस्या उत्पन्न हुई। जीवाणु के प्रयोगशाला की वायु नलिकाओं के माध्यम से बाहर फैलने का खतरा पैदा हो गया। यदि यह बाहर फैल जाता, तो यह पृथ्वी पर महामारी फैला सकता था। प्रयोगशाला में एक स्वचालित परमाणु विस्फोट प्रणाली थी, जो जीवाणु के बाहर फैलने पर प्रयोगशाला को नष्ट कर देती। लेकिन वैज्ञानिकों को पता चला कि परमाणु विस्फोट एंड्रोमेडा स्ट्रेन को और शक्तिशाली बना देगा, क्योंकि यह ऊर्जा सोखकर बढ़ता था।
डॉ. हॉल पर एक बड़ा दायित्व था। उनके पास एक चाबी थी, जो परमाणु विस्फोट को रोक सकती थी। लेकिन समय बहुत कम था। प्रयोगशाला में वायु रिसाव शुरू हो चुका था, और जीवाणु के बाहर फैलने का खतरा बढ़ रहा था।
कई परीक्षणों के बाद वैज्ञानिकों को पता चला कि एंड्रोमेडा स्ट्रेन केवल विशिष्ट pH स्तर पर जीवित रह सकता था। पीटर जैक्सन और शिशु इसलिए जीवित रहे क्योंकि उनके रक्त का pH स्तर स्ट्रेन के लिए अनुपयुक्त था। पीटर अत्यधिक अम्लीय दवा का सेवन करते थे, और शिशु का रक्त अत्यधिक क्षारीय था। इस जानकारी ने वैज्ञानिकों के लिए समाधान का रास्ता साफ कर दिया।
अंतिम क्षणों में डॉ. हॉल ने परमाणु विस्फोट को रोक दिया। वैज्ञानिकों ने एक रासायनिक प्रक्रिया का उपयोग करके एंड्रोमेडा स्ट्रेन को नष्ट कर दिया, जो जीवाणु के pH स्तर को नष्ट कर देती थी। प्रयोगशाला सुरक्षित हो गई, और मानवजाति एक बड़े खतरे से बच गई।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। एंड्रोमेडा स्ट्रेन मानवजाति के लिए एक चेतावनी थी। मनुष्य अंतरिक्ष में अज्ञात जीवों की खोज कर रहा है, लेकिन क्या वह जानता है कि वह अज्ञात जीव उसका विनाश ला सकता है? वाइल्डफायर दल ने इस खतरे को रोका, लेकिन भविष्य में और कितने अज्ञात खतरे इंतज़ार कर रहे हैं, यह कोई नहीं जानता।
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1969 में प्रकाशित उपन्यासकार माइकल क्रिचटन के उपन्यास The Andromeda Strain की यह संक्षिप्त कहानी है। The Andromeda Strain की कहानी में मानव की जिज्ञासा, वैज्ञानिक खोज और अज्ञात भय का एक रोमांचक मिश्रण है। यह हमें सिखाता है कि विज्ञान के प्रत्येक कदम के पीछे एक अज्ञात रहस्य छिपा है। इस कहानी के आधार पर 1971 में The Andromeda Strain नाम से एक फिल्म और 2008 में एक मिनी-सीरीज रिलीज़ हुई थी। इस उपन्यास का सीक्वल, The Andromeda Evolution, डैनियल एच. विल्सन ने लिखा, जो नवंबर 2019 में प्रकाशित हुआ।
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The Andromeda Strain के लेखक माइकल क्रिचटन (1942–2008) एक प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक, फिल्म निर्माता और चिकित्सक थे। वे विज्ञान कथा और थ्रिलर उपन्यासों के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनकी सबसे चर्चित रचनाओं में The Andromeda Strain, Jurassic Park, Timeline, Prey, Congo, Sphere और State of Fear शामिल हैं। क्रिचटन ने फिल्म निर्माण और निर्देशन भी किया। उन्होंने Westworld (1973) फिल्म की कहानी लिखी और निर्देशन किया, जो एक थीम पार्क में रोबोटों के विद्रोह पर आधारित थी और विज्ञान कथा फिल्मों के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुई। Coma (1978) उनकी एक उपन्यास से रूपांतरित फिल्म थी, जिसमें अवैध अंग व्यापार पर प्रकाश डाला गया। ER (1994–2009) क्रिचटन द्वारा निर्मित एक लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक था, जो चिकित्सा नाटक शैली में एक मील का पत्थर बना। यह उनकी चिकित्सकीय पृष्ठभूमि से प्रेरित था। Jurassic Park (1993) फिल्म, स्टीवन स्पीलबर्ग के निर्देशन में बनी, और क्रिचटन ने इसका पटकथा लेखन किया।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय से चिकित्सा शास्त्र में डिग्री प्राप्त करने वाले क्रिचटन अपनी रचनाओं में वैज्ञानिक तथ्यों और रोमांचक कहानियों का अनूठा मिश्रण करते थे। उनके कई उपन्यास फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों में रूपांतरित हुए। उनकी लेखनी पाठकों को विज्ञान की संभावनाओं और खतरों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
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"Odd Man Hypothesis" वास्तव में एक काल्पनिक सिद्धांत है, जिसे पहली बार माइकल क्रिचटन के 1969 के टेक्नो-थ्रिलर उपन्यास The Andromeda Strain में प्रस्तुत किया गया था। इस सिद्धांत के अनुसार, अविवाहित पुरुष संकट के समय (जैसे जैविक या परमाणु संकट) में सबसे निष्पक्ष और तार्किक निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। उपन्यास में, इसे एक काल्पनिक RAND Corporation रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें विभिन्न व्यक्तियों की निर्णय लेने की क्षमता का परीक्षण किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, अविवाहित पुरुषों का कमांड डिसीजन इफेक्टिवनेस इंडेक्स (command decision effectiveness index) दूसरों की तुलना में उच्च होता है। उपन्यास में, इस सिद्धांत का उपयोग डॉ. हॉल नामक एक अविवाहित वैज्ञानिक को एक गुप्त प्रयोगशाला (वाइल्डफायर) में जैविक संकट को नियंत्रित करने के लिए एक परमाणु विस्फोट को निष्क्रिय करने की चाबी देने के लिए किया गया है। उन्हें यह जिम्मेदारी इसलिए दी गई क्योंकि वे अविवाहित थे और उनकी निर्णय लेने की क्षमता को सर्वोच्च माना गया। हालांकि, यह एक पूर्ण रूप से काल्पनिक सिद्धांत है और वास्तविक जीवन में इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। क्रिचटन ने इसे उपन्यास में एक नाटकीय तत्व के रूप में उपयोग किया, जिसे एक काल्पनिक रिपोर्ट द्वारा समर्थित किया गया। उपन्यास में यह भी प्रकट होता है कि यह सिद्धांत एक झूठे दस्तावेज पर आधारित था, जिसे वैज्ञानिकों को परमाणु हथियार नियंत्रण की जिम्मेदारी देने को उचित ठहराने के लिए बनाया गया था। यह मुख्य रूप से एक कथात्मक उपकरण के रूप में कार्य करता है, जो उपन्यास में रोमांच और उत्साह पैदा करने के लिए उपयोग किया गया है।
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