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शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

राष्ट्रवादी

(दो दिन राष्ट्रवादी बनजाने से कुछ न होगा ये जोश ए जुनन ता उम्र साथ रखना चाहिए ।) हमारे स्कुल मेँ खास दिनो मेँ भाषण प्रतियोगिता होते थे । और मैने इनमेँ कभी भी भाग नहीँ लिया ।। क्युँ की मेरा मानना है एक दिन आप भाषण दे कर दुसरे दिन चैन से सो जाते हो तो इन भाषणवाजी का क्या मतलव रह जाता है ?पैड वचाना है तो पहले खुद पौधे लगायेँ ।। पता नहीँ ये लोग कब सुधरेगेँ कब होगा नया सवेरा ।।

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