गुजरात दंगों के कुछ तथ्य-
१. २७ फ़रवरी २००२ गोधरा स्टेशन में जलाई गई बोगियों में मरने वाले ५८ लोगों में २५ औरतें और १५ बच्चे भी शामिल थे. मरने वाले अधिकांश लोग हिन्दू तीर्थयात्री थे.
२. ९ साल बाद २२ फ़रवरी २०११ में गोधरा रेल अग्निकांड को पूर्वनियोजित षड़यंत्र बताते हुए ३१ मुस्लिमपंथियों को सज़ा दी, जिसमें से ११ को फांसी और २० को आजीवन कारावास की सज़ा दी गयी. लेकिन मुख्य अभियुक्त मौलवी सईद उमरजी और अन्य ६२ दोषियों को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया.
३. सितम्बर २००४ में तत्कालीन रेलमंत्री लालूप्रसाद यादव ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट यू.सी. बैनर्जी से गोधरा अग्निकांड की जांच करवाई. इस रिपोर्ट में गोधराअग्निकांड को मात्र दुर्घटनावश बताया गया. सन २००६ में गुजरात हाईकोर्ट ने बैनर्जी की इस रिपोर्ट को असंवैधानिक, अवैध और दुष्प्रचारित बताते हुए खारिज करदिया.
४. गोधरा अग्निकांड के बाद हुए दंगों में मरने वालों में ७९० मुसलमान, २५४ हिन्दू थे और २२३ लोग लापता रहे.
५. लगभग ६०००० मुसलमान और १०००० हिन्दुओं को अपना घर छोड़ना पड़ा.
६. लगभग ७००० मुसलमानों और २७००० हिन्दुओं को गिरफ्तार किया गया.
७. कांग्रेस पार्टी की स्वतन्त्रता संग्राम की सहयोगी रही "जमात उलेमा-ए-हिन्द" ने बताया कि २००२ से पहिले हुए गुजरात दंगों में गुजरात के कांग्रेस नेताओं का अहम् रोल रहा था और साथ ही २००२ के दंगों के लिएभी उन पर शक जताया था, लेकिन मीडिया और कांग्रेस पार्टी दोनोंही इस आरोप पर चुप रहे.
८. २००४ में UPA सरकार द्वारा गोधरा रेल अग्निकांड के सभी दोषियों पर से POTA हटाया गया.
९. सुप्रीम कोर्ट द्वार गठित Special Investigation Team ने गुजरात सरकार को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि गुजरात पुलिस ने दंगों को रोकने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाये थे. इसी के साथ भारतीय मीडिया द्वारा दुष्प्रचारित ये आरोप कि "अधिकाँश मुस्लिम पुलिस फायरिंग में मारे गए" स्वतः खारिजहो गया. बाद में टाइम्स ऑफ़ इंडिया ग्रुप ने अपने दुष्प्रचार के लिए मोदी और गुजरात सरकार से माफ़ी भी मांगी.(परिवर्तन के पुरोधा)
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