मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
शनिवार, 10 अगस्त 2013
मेँ भी देशभक्त
देशभक्त तो हम वचपन से थे ।। पर पहले सिने मेँ सिर्फ धुआँ उठता था और आज आग हि आग भरा है ।। बचपन मेँ हम गांधी जी कि जय नेहरु कि जय करते थक जाते और कोई वड़ा तीर मारा हो जैसे सोचते ।। और आज इनकी सच्चाई जान लेने के वाद ईनके नाम लेने से पहले एक वार जरुर सोचते हे ।।कल हम सेकुलार थे हर धर्म को मानते थे और आज राष्ट्रवादी है सारे धर्म को जानते हे ।। कल हमनेँ जय जय कार किया था किसी गद्दार के लिये और आज हम जय करते है सेना और भगवान के लिये ।। कल लोग हमसे चिढते थे हमारे बकवास के लिये आज देखो इस पागल के पोस्ट मेँ कितने कॅमेंट मिले ।।
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