मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
शनिवार, 10 अगस्त 2013
करलो लाखोँ हिस्से भारत के ।
कर लो लाखोँ हिस्से भारत के । वना लो कितने और पाकिस्तान । फिर लडतेरहना आपस मेँ । वेडा गर्क हो इस देश का तुम्हारा क्या जाता हे । तेलेगाँना तो वननेवाला ही हे ।। तुम भी अलग हो जाओ किसी नाम के साहारे ।। गुज्जर,सौराष्ट्र,वुँदेलखँड आदि अलग अलग देश बना के ।। फिर काटते रहना एक दुसरे को नहा देना खुन के नदी मेँ हिन्दोस्तान को ।। एक और महाभारत जो वाकी है ।। अलग ना होगे तो युद्ध कैसे होगा ।। वैशक लढो पर देश के लिये ।। पहले पाक से तो निपट लो देश के लिये ।। अलग तो होना हि है भाषा जाति धर्म के नाम पर ।। देश मेँ क्या रखा है ? तुम तो जिते हो सिर्फ एक नाम के लिये ।। (जो हमेशा अलग होने कि वात करतेहै उनसे मूर्ख और कोइ नहीँ । क्या ग्यारेन्टी है गोरखालाँड,कश्मिर वनने के वाद पाक और चीन इनहे आजाद समझेगेँ ये तो यहि चाहते हि है कि हम आपस मेँ लड मरेँ और वो हमारे देश को हतियाले । वीरोँ जागो ! देखो तुम्हारा दुशमन तुम्हे तुम्हारे संस्कृति को ध्वस्त करेदेना चाहता है और तुम इनके वहकावेमेँ आ कर एक दुसरे को मारने पे उतारु हो ? ) जय भारती जय भारत @
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