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बुधवार, 19 नवंबर 2014

गाँधीजी के बाद नेहरुजी को मारने के हुए थे कई प्रयाश

आजकल भारत मेँ ऐसे युवापिढ़िओँ का उदय हुआ है जो मानता हे कि देश के प्रथम पधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु और महात्मा गान्धी ही देश विभाजन के एकमात्र जिम्मेदार है ! राजनीति के धुरन्दरो नेँ पिछले 10 वर्षोँ मेँ और खासकर पिछले 2 वर्षोँ मेँ इंटरनेट का इस्तेमाल इन्हे बदनाम करने के लिये किया और आज आलम यह है कि इनके नेता भारत मेँ बहुमत से चुनेगये और विदेश यात्राओँ मेँ व्यस्त है । इंटरनेट मेँ सर्च करते ही नेहरु व गाँधीजी के बारे मेँ कई कॉन्स्पीरसी थियरी पढ़ने को मिलजायेगा जैसे :- गाँधीजी के हत्या के पिछे नेहरुजी का हात था , सुबास चंद्र वोस जी के गायव होने के पिछे नेहरुजी का हात था , श्यामाप्रसाद मुखर्जी कि मौत नेहरु के कारण हुआ आदि !
मुझे तो डर हे किसी दिन ये लोग नेहरु व गांधीजी को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम विफल होने का जिम्मेदार न बना लेँ !
हिन्दुधर्म के नामपर राजनीति करनेवाले लोगोँ को इतिहास मेँ कोई रुचि नहीँ है वे चाहनेपर उसको तोडमरोडकर पैस कर सकते है । क्या कभी इन इंटरनेट वीरोँ ने नेहरुजी के हत्या प्रयाश के बारे मेँ कुछ लिखा या बताया ?
संभावना कम है ,पर हकिकत यह है कि गाँधीजी की हत्या करनेवाले कट्टरवादीओँ को नेहरु भी उतने हि खटक्कते थे । 1950 का दौर भारतके लिये मुश्किलोँभरा था । एक तरफ भारत मेँ लगातार शरणार्थीओँ का आना लगाहुआ था तो वहीँ सीमाविवाद, धार्मिक रक्तपात से देश रक्तरंजित हो गया था । ऐसे मेँ भारत के कुछ हिदुँ संगठनोँ ने भारत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल लिया । हिँदु महासभा और राष्ट्रिय स्वयं सहायक संघ ने भारत को हिँदुराष्ट्र वनाने के लिये कमर कस ली । गाँधीजी को रस्ते से हटाने के बाद नेहरु उनके हट लिस्ट मेँ आ गये थे । 1950 मेँ हिँदुमहासभा के भूतपूर्व प्रमुख कि धरपकड के बाद भारत सरकार उंगली उठने लगी । तब सरदार पटेल ने संसद मेँ इसपर जबाव देते हुए कहा था कि जिन कट्टरवादीओँ नेँ गाँधीजी की हत्या कि कोशिश कि थी वे अब नेहरु को मारने के प्रयाश मे लगे हुए थे परंतु खुफिया जानकारी के कारण पोलिस नेँ इसे नाकाम करदिया । सरदारजी की मृत्यु के बाद 1953 मेँ नेहरुजी को मारने का एक और प्रयाश निष्फल हुआ । पंडित नेहरु अमृतसर एक्सप्रेस से मुँबई लौट रहे थे तब मुंबई थी लगभग 55 किलोमिटर दुर कलवन नजदिक रेल्वे ट्रेक पर बॉम लगाया गया था । परंतु पटरी पर पेट्रोलिंग करनेवाले पोलिस बल को ये बॉम दिखगया,गोलिवारी हुई और अपराधी भागखड़े हुए ।
1955 मार्च 12 मेँ नागपुर के रिक्शिचालक वावुराओ कोहली ने अपने चाकु के द्वारा नेहरु को मारने की प्रयाश हुआ । नेहरु के सहायक रहचुके "एम .ओ. मथाई"जी नेँ MY DAYS WITH NEHRU मेँ लिखा है कि कोहली एक प्रकार को पोल्टिकाल थिँकर थे . वे दृढ़तापूर्वक मानते थे कि कंग्रेस कि सरकार वहुमत से राज कर रहा है और इसमेँ उसकि कोई बाहदुरी नहीँ । कोहली कि धरपकड के बाद उसे अदालती कारवाई मेँ जुलाई 28 1955 के रोज प्रधानमंत्री के हत्या प्रयास के लिये आइ.पि.सी धारा 307 के अंतर्गत छ वर्ष कि सजा ए कैद मिला था ।

आज भारत पर संघपरिवार का राज है । हिँदु कट्टरवादीओँ का एक पुरा का पुरा फौज फेसबुक व ब्लॉगिगं के दुनिया मेँ मनगढ़न कहानी परोस रहा है । ऐसे मेँ साधारण पाठक को चाहिये कि वो इंटरनेट मेँ लिखगये लेखोँ को आँख बंदकरके यकिन न करेँ वरना एक दिन आयेगा जब हमारे समाज व देश मेँ कट्टरवादीओँ का राज होजायेगा और साधरण जनता को अन्याय सहन करना होगा ।

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