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शनिवार, 28 मार्च 2015

ये लाइमलाइट क्या है ?

सामान्यतः कोई अगर लगातर काम करते रहता है या चर्चा मेँ रहता हो तो कहाजाता है कि आजकल यह व्यक्ति बड़े लाईमलाईट/LIMELIGHT मेँ है ! अब लाइम या नीम्बु और लाईट यानी रोशनी का भला आपस मेँ क्या लेनादेना ? क्युँ न इसे ओरेजंलाइट या ऐपललाइट न कहजाय !!लेकिन अगर आप लाइमलाइट के बदले ऑरेँजलाईट और ऐपललाईट बोलेगेँ तो ग्रीस के राजा व थियटरका खोज करनेवालोँ को बुरा लगजायेगा । ये उनका अपमान करने जैसा होगा परंतु क्युँ ?
लाईमलाईट शब्द 1825मेँ ग्रीस मेँ खोजा गया था या युँ कहे प्रचलन मेँ लाया गया था । अब उन दिनोँ हर रोज शाम को मनोरंजन के लिये नाटक का आयोजन कियाजाता था और रात होने से पहले पहल नाटक खत्म करदियाजाता था । 1825 मेँ चुना कि सिलिण्डर से आग और आग से प्रकाश उत्पन करने कि कोशिश कियागया । ये प्रकाश स्टेज पर गिरया जाता था और इसे काफि लोगोँ ने पसंद किया । इसे लोगोँ ने लाईम लाईट नाम दिया !
इस लाइमलाइट इफेक्ट को 1820 मेँ Goldsworth y Gurney नेँ खोजा था ।
सामान्य रूप से रॉबर्ट हरे को भी इसे खोजने का क्रेडिट दियाजाता है खासकर उनके "ऑक्सी हाइड्रोजन नाल," के साथ अपने काम के आधार पर।
1825 में, एक Scottishengineer, थॉमस ड्रमंड (1797-1840), माइकल फैराडे द्वारा इस आशय का एक प्रदर्शन को देखा और उन्होने इसे अधिक खोज के लिये उत्कृष्ट पाया । Drummond नेँ इसमेँ एक उपयोगी और महत्वपूर्ण बदलाव 1826 मेँ किया और इस वजह से कभी कभी इसे Drummond Light भी कहाजाता है । जनसाधारणोँ के बीच इसका सर्ब प्रथम उपयोग
Herne Bay Pier, Kent पर 3 October 1836 रात को किया गया था । उसदिन इसे magician Ching Lau Lauro द्वारा मैजिक दिखाने के लिये उपयोग किया गया था ।

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