एक गाँव मेँ एक देवी को लोग प्रत्यक्ष मानाकरते थे । देवी अपने भक्तोँ को अपनी दिव्य शक्तिओँ का आभास किया करती थी । देवी के पास हर तरह का बलि दिया जाता था , परंतु वर्ष मेँ केवल एक दिन को छोड़कर बाकी दिनोँ मेँ देवी को उनके भक्त बड़े भक्तिभाव से फल और बिभिन्न प्रकार के शाकभाजी आदि को भोग लगाने के लिये अर्पण किया करते थे ।
देखते देखते 20वीँ सदी खत्म हुआ और 21वी सदी के 2005 साल मेँ उसगाँव मेँ देवी नेँ अपना प्रत्यक्ष चमत्कार दिखाना शुरुकरदिया । अब लोगोँ के खेत और बाड़ी से शाकसब्जी अपने आप गायब होनेलगा और हर रोज सुबह देवी मंदिर के निकट सब्जी का बचाहुआ अदरकारी अंश गिराहुआ पायाजाता था ।
रामुकाका जो देवी के बड़े भक्त थे गाँव मेँ इसे देवी का चमत्कार कहते फिर रहे थे ,उन्होने लोगोँ को यकिन दिलादिया था कि यह सब देवी हीँ कर रहीँ है ।
देखते देखते एक वर्ष बीतगया , गाँव मेँ रोज रात को चमत्कार होता था ,ज्यादातर लोग देवी के रात्रभ्रमण करनेवाली बात करने लगे थे । रात 8 बजे के बाद उस छोटे से गाँव मेँ एक अजीब सा सन्नाटा छा जाता था । फिर एक रोज एक अजीब सा घटना घटा, रात का वक्त था ,गर्मीओँ के दिनोँ मेँ भी लोग देवी के डर से घर मेँ सो रहे थे । उसदिन रात को ठिक 1 बजे किसी औरत की और फिर एक मर्द के चिल्लाने कि आवाज आयी । उस छोटे से गाँव मेँ वो आर्त्तनाद किसी भयानक गर्जना कि तरह प्रतीत हो रहा था ,,,कुछ लोग हिम्मत करते हुए आवाज आ रहे दिशा कि और बढ़ने लगे ।
उन्होने देखा कि देव राय काका के घर के पश्चिमी दिशा मेँ लाल रंग कि साड़ी पहनी हुई कोई औरत बुत बनकर खड़ी हुई है ।
इससे पहले कि लोग उस औरत के बारे मेँ अपना राय बनाते ,
उनकी नजर निचे वेहोश हुए एक व्यक्ति पर पड़ा ! हालांकि लोग अब डरे हुए थे , वो उस औरत को देवी मानने लगे थे । तो कोई भी उन दोनोँ के नजदिक जानेँ के लिये तैयार न था !!!
फिर रामसरण काका वहाँ आये, वो बड़े निर्भिक नीडर व्यक्ति थे । उन्होने नजदिक जा कर देखा कि वो औरत कोई और नहीँ देव राय कि पत्नी है और निचे गिरा हुआ व्यक्ति जो उस घर के दिवार के निकट सुरंग बनारहा था ,पड़ोशी गाँव का सुखवंतलाल था ।
देवराय जी के मित्र होने के कारण रामसरण काका नेँ देवरायजी की पत्नी का बचाव करते हुए कहा "गाँववालो
भगवन जो कुछ भी करता है अपने भक्त द्वारा करवाता है । देवीनेँ देखा कि हमलोगोँ ने कई सदी तक उनका सेवा बड़े हर्श उल्लास के साथ किया । अतएब देवी आपको कष्ट न हो इसलिये हर रात आपके बाड़ी से साक सब्जिओँ के ले जाती थी । अब देवी का तो अपना शरीर है नहीँ तो उस ज्योतिर्मयी ने इस पवित्र नारी को अपने पवित्र कर्म के लिये एक जरिया बनाया ।
अब क्या था गाँव के लोग उस देवी की स्तुति गान करने लगे ! धूप नैवेद्य से गगन पवन सुबासित हो गया कल तक जहाँ देव राय लघुशंका करते थे वो रातोँरात एक पवित्र स्थान बनगया ।
दो चार दिन के बाद जब मेँ रामसरण काका से मिला और इस बारे मेँ पुछने पर असल बात पताचला ।
देव राय जी के पूर्वज कभी गाँव के जमिदार हुआ करते थे परंतु अंग्रेजोँ के चलेजाने के पश्चात गरीबी नेँ उनके वंश को निगल लिया । जैसेतैसे करके देव राय नेँ एक सरकारी नौकरी कर ली थी जिसके वजह से गाँव मेँ उनका कुछ इज्जत बचपाया था । अब च्युँकि उन्होने अपने जीवन मेँ गरीबी को नजदिक से देखा था महशुश किया था वो वक्त के साथ साथ थोड़े लालची हो गये थे । मातापिता के स्वर्गवास के बाद वो नित्यान्त अकेले हो गये और घर के कामकाज मेँ उनका मन नहीँ लगता था । ऐसे मेँ पिछले वर्ष उनका विवाह संपन्न हो गया और उस नववधू नेँ शाक सब्जी के लिये 1 वर्षतक देवी का नाटक खेला ।
उस रात को जब देवराय कि पत्नी सब्जी चुराकर लौट रही थी उसने एक आदमी को अपने घर के नजदिक सुरंग खोदते देखा और डरकर वहाँ स्तभ्ध हो खड़ी होकर रहगयी थी ।
उस रात के बाद उस गाँव मेँ
लोगोँ के हावभाव मेँ एक बदलाव देखागया ।।
लोग अब चैन कि निँद शोने लगे
च्युँकि उस कस्बे का सबसे बड़ा चोर जेल मेँ था और गाँव के प्रत्यक्ष देवी नेँ रात्रभ्रमण करना छोड़ दिया था ।
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