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शनिवार, 28 मार्च 2015

बंदे मातरम् प्रथम आंतरीक प्रहार मुस्लिम लीग ने किया था

वंकिम चंद्र चेटर्जी कि ऐतिहासिक नवलकथा आनन्दमठ से लिया गया प्रसिद्ध बंदे मातरम गीत भारतीयोँ के लिये केवल मात्र एक गीत नहीँ है अपितु मातृभुमि की प्रेम मेँ स्वयं को ओतप्रोत कर लेनेवाली शक्ति है । बंदे मातरम से प्रेरित होकर ओडिआओँ ने बंदे उत्कल जननी नामक गीत की रचना की और यह भी ओड़िशा राज्य मेँ काफी मशहुर हुआ था । परंतु व्रिटिस राज को वंदेमातरम शब्द से नफरत था और इसलिये 1905 मेँ पूर्व बंगाल के लेफ्टनेँट गवर्नर नेँ एक आदेश जाहिर करते हुए कहा था कि बंदे मातरम कोई उच्चारण न करे ऐसा करना अपराध है । परंतु प्रथम वक्त इस राष्ट्रगीत पर आँतरिक प्रहार 1923 मेँ कंग्रेस का काकीनाडा अधिवेशन मेँ हुआ । सुप्रसिद्ध गायक विष्णु दिगंवर पलुस्कर कंग्रेस के उद्घाटन अधिवेशन मेँ बंदे मातरम गीत गाने के लिये मंच पर जाने लगे तो उनको अधिवेशन अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अलीनेँ रोक कर कहा कि इस्लाम मेँ संगीत बर्जित है इसलिये वो यहाँ गीत गाने के लिये अनुमति नहीँ देगेँ । समग्र सभा स्तभ्ध हो गया पर पलुस्कर टस् से मस् न हुए ,मौलाना को उन्होने कडक शब्दोँ
मेँ कहा कि भारतीय जातीय कंग्रेस पर किसी संप्रदाय विशेष का जागिर नहीँ चलता । ये स्थान कोई मसजिद भी नहीँ है कि कोई मुझे इस गीत को गाने के लिये रोक सकता है और न ही आपके पास ऐसा अधिकार है कि आप मुझपर धौँस जमाये । गीत गाया गया और उसी दिन से पाकिस्तान का विजरोपण हो गया । ये मौलाना मोहम्मद अली खिलाफत आंदोलन के अग्रज नेता थे और मुस्लिम लीग बनानेवाली विचारधारा के जनक भी । इस घटना के बाद अग्रेँजोँ को मुस्लिम लीग को अपने तरफ करने का मौका मिलगया और लीग को आर्थिक सहायता करनेवाला सत्ता । अब कंग्रेस के लिये बंदे मातरम रास्ते का काँटा बनचुका था क्युँकि मुसलमानोँ को अपने साथ करना था । जो कंग्रेस अंग्रेजोँ के लाठी गोली से कत्लेआम से नहीँ डरी थी उसके पाँव लीग के सामने बंदेमातरम को लेकर डगमगाने लगी । आखिरकार कंग्रेस लीग के आगे झुकगया और मुसलमानोँ को राजी करने के लिये उसे "सारे जहाँ से अछा हिन्दोस्तान हमारा" राष्ट्रिय गीत बनाना पड़ा । पाकिस्तान के जनक महम्मद इकवाल नेँ यह गीत लिखा था । पाकिस्तान बनने पर इन्होने एक और गीत लिखा था "मुस्लिम है हम वतन है सारा जहाँ हमारा " । 1937 मेँ कंग्रेस प्रान्तिय विधानसभा चुनाव मेँ विजयी हुआ और परंपरा के अनुसार कामकाज कि शुरुवात वंदेमातरम् कि जयनाद के साथ शुरु हुआ । अब लीग के सभ्योँ को यह बात खटक गई और उन्होने इसे मुद्दा बनाकर हंगामा पर उतर आये । लीगवाले कंग्रेस शासित राज्योँ को हिन्दुराज्य कहने लगे जैसे आज बिजेपी के साथ हो रहा है । लीग नेँ अपने कार्यकर्ताओँ के लिये फरमान जाहिर किया कि कोई भी सदस्य इस बंदेमातरम् गीत से कोई सबंध न रखे । अब कंग्रेस को डर सताने लगा जो अबतक कायम है कि अंग्रेज हिन्दु मुस्लिम एकता के बीना भारत को सत्ता न सौँपे तो ?
तो कंग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिये बंदेमातरम् को राष्ट्रगान कि पदवी से हटाकर अन्य गीतोँ के श्रेशीओँ मेँ ला खड़ा किया और बंदेमातरम् कविता से केवल पहले चार पंक्तिओँ का गाया जाय लोगोँ से इसतरह कि अनुरोध किया गया । बर्तमान भारत मेँ कंग्रेस मुस्लिम लीग का रोल निभा रहा है और बिजेपी पराधीन भारत कि उस वेवश कंग्रेस कि तरह बर्ताप करने लगा है । समय आ गया है कि हम भारतीय हिन्दुओँ को अपने सभ्यता संसकृति को बचाने के लिये बड़े कदम उठाने होगेँ अरबी संस्कृति प्रेमीओँ को गर भारतीय संस्कृति सभ्यता से दिक्कतेँ आ रही है तो वे अरब चले जाय अथवा पाकिस्तान या बंगलादेश । नागफनी का वर्षावन मेँ जीवन व्यतित करना आसान कहाँ है ???

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