मेँ अपने मन का दास कलम का कर्मचारी हुँ जो मन मेँ आया लिखदिया । कोई पागल कहे तो मुझे क्या ? कहता है तो कहने दो ।।
ब्लॉग आर्काइव
रविवार, 17 मई 2015
राजकपुरजी का रमैयावस्तावैया गीत की पिछे की कहानी
SHRI 420 का ये सदावाहार गाना आज भी उतना लोकप्रिय हे जितना कल था । इसकी लोकप्रियता देखिये पिछले दिनोँ Ramiya vastaveiya नामसे बॉलीवुड़ मेँ एक फिल्म भी बना था । इस गीत के म्युजिक इसके बोल लिखे जाने से पहले बनाये जा चुके थे । सिच्युएसन कुछ ऐसा हुआ कि राजकपुर जी को इस गीत को जल्दवाजी मेँ सुटिँग करना था । राजकपुरजी नेँ इस फिल्म के संगीत निर्देशक शंकर_जयकिशन जी को इस गीत के जल्द से जल्द तैयार करने की बात कही । शंकरजयकिशन तेलगु भाषा के जानकार थे वो हमेशा डमी संग से म्युजिक सुनाया करते थे । इस गीत का म्युजिक भी उन्होने डमी संग के जरिये राजकपुरजी को गा कर सुनाया । यहाँ जब उन्होने रमैया वस्तेवैया शब्द का इस्तेमाल किया वो राजकपुर जी को अछा लगा और इसतरह से रमैया वस्तावैया का ये गाना बना । अब मन मेँ स्वतः प्रश्न उठता हे की ये रमैया वस्तावैया का मतलब क्या है ? दरअसल यह वाक्य तेलुगु भाषा का है रमैया अर्थात् "राम या रामा" नामवाचक शब्द और वस्तावैया का अर्थ है "क्या तुम वापस आओगे"
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