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रविवार, 17 मई 2015

और्व ऋषि जन्म व सम्यक जानकारी

महाभारत के बनपर्व मेँ ‪#‎ और्व‬ऋषि के बारे मेँ एक कथा है वो इस प्रकार है:-
और्व अतिप्राचीन और प्रसिद्ध ऋषि है । प्राचीन काल मेँ क्षत्रिय ,भृगुवंशीओँ के यजमान हुआ करते थे । किसी कारणवश क्षत्रियोँ का पुरोहित भृगुवंशीओँ से कलह हुआ इससे क्षत्रिय कुल कोधावेग के चलते सती ब्राह्मणीओँ का अपमान करने लगे । क्षत्रियोँ के इस अत्याचार से त्रस्त च्यवन ऋषि कि पत्नी आरुसी नेँ जंगल कि और पलायन किया ।
उस अवला नारी के रक्षा हेतु स्वयं देवराज इंद्र उनके पिछे पिछे अनुधावन कर रहे थे ।
आसन्न विपत्ति से भयभीत उस नारी के उदर पर वृक्षशाखा आघात के कारण और्व ऋषि का आविर्भाव हुआ । समय से पहले भूमिष्ट होने के कारण और्व ऋषि पर माया का कोई प्रभाव न लगा परंतु अपने माता की इस दुर्गति देखकर तभी से और्व रुषि के मनमेँ क्षत्रियोँ के लिये वैरभाव का उदय हुआ ।
वो अपने क्रोधानल मेँ पृथ्वी भस्म करने को उद्यत हुए तो उनके पूर्वजोँ ने उन्हे ऐसा न करने का उपदेश दिया
शान्त होनेपर और्व ऋषि नेँ वो क्रोधानल सागर को दे दिया ।
आगे चलकर समंदरी विद्युत को इसलिये बाडवानल और और्वानल आदि कहाजानेलगा । और्व ऋषि के वंश मेँ रुचिक ऋषि का जन्म हुआ था ।
रुचिक ऋषि जमदग्नी के पिता था भगवन विष्णु के पाचँवे अवतार भगवन श्री पर्शुराम के दादा थे ।

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