इस्कॉन ISCKON या अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ(International Society for Krishna Consciousness.)क्या सही मायने मेँ एक धार्मिक संगठन है या भारतीयोँ के भगवन ,भक्ति और भावनाओँ से करोड़ोँ कमाकर अपना संस्था चलानेवाली अमरीकी कंपनी ?
हम सब जानते हे कि इसे 1933में न्यूयॉर्क पर भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने प्रारंभ किया था । देश-विदेश में इसके अनेको मंदिर और विद्यालय है । शुरवात मेँ इस संस्था कि बागड़ोर एक संथ के हाथ मेँ था अब विदेशीओँ के हाथ मेँ ! भारतीय संत कभी धर्म को लेकर विजनेस नहीँ करते ये तो । इस्कॉन कि उन मंदिरोँ मेँ चढ़ाये जा रहे चंदे और नगदी से यह संगठन दिन व दिन और शक्तिशाली धार्मिक संस्था बनराहा है । Oh my god फिल्म मेँ कथानक के जरिये इस संस्था पर हीँ प्राहार किया गया था । धर्म के नाम पर फ्राँचाईजी बनाना कोई नईबात नहीँ है मध्यप्राच्य और युरोप के पैगम्बरोँ ने 2000वर्ष पूर्व इसकी शुरुवात करदि थी ।
अब सवाल हिँदुओँ का है क्या इस्कॉन उनके लिये लाभकारी है ?
मानसिक लाभ मिलचुके भक्त इसके गुण गाते पायेगये है जबकि भारतीय बुद्धिजीविओँ नेँ इसे संदेहास्पद माना ।
फेसबुक के धर्मधुरंधर कभी मंदिर न जानेवाले भगवा भक्तोँ को यह लेख अनुचित ही लगेगा च्युँकि वे आँख बंदकर अंधे होना का ढ़ोँग करने मेँ माहिर है ।
यहाँ सवाल आस्था का नहीँ है अपितु आस्था के नाम पर लोगोँ के भावनाओँ से खेलकर पैसे कमाये जा रहे हे । आपको मंदिर मेँ जाना हे तो बिना फ्राँचाईजी वाली मंदिर मेँ जायेँ इस्कॉन मेँ जाकर आप अपने ही देश का पैसा बिना किसी लाभ के विदेशीओँ को मुफ्त मेँ दे देते है
भगवन हर जगह है
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